रतलाम | राजेश मूणत दीप पर्व यानी रोशनी का पर्व अंधेरे के साम्राज्य को चुनौती देने के लिए एक दीप प्रज्ज्वलित करने का संकल्प। भारतीय संस्कृति का यह सबसे प्रकाशवान उत्सव न केवल धर्म और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि जीवन के गूढ़ दार्शनिक अर्थ को भी व्यक्त करता है।
यह पर्व कहता है की केवल एक दीप भी अंधकार को हरने की शुरुआत कर सकता है।
🌿 धनतेरस
आरोग्य और संतुलन का संदेश
दीपोत्सव का पहला दिन धनतेरस है। समुद्र मंथन से इस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए यह दिन आरोग्य, दीर्घायु और समृद्धि का प्रतीक माना गया। धनतेरस का सच्चा अर्थ केवल स्वर्ण या चांदी का क्रय नहीं, बल्कि मनुष्य के भीतर के स्वास्थ्य और शुद्धता की खोज है।
यह दिन हमें स्मरण कराता है कि स्वस्थ तन-मन ही सच्चा धन है।
🔥 नरक चतुर्दशी
बुराई पर आत्मविजय का प्रतीक
दीप पर्व के दूसरे दिन को काली चौदस या नरक चतुर्दशी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अत्याचारी नरकासुर का वध किया था। यह घटना केवल पौराणिक कथा नहीं, बल्कि भीतर के अंधकार — क्रोध, अहंकार, लालच और द्वेष — से लड़ने का प्रतीक है। यह दिन हमें यह बोध कराता है कि सच्चा प्रकाश भीतर के अंधकार पर विजय से ही प्रस्फुटित होता है।
✨ दीपावली
ज्ञान मुक्ति और विजय का संयोजन
दीप पर्व का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण दिन दीपावली का है।
प्रभु श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या लौटने पर पूरा नगर दीपों से आलोकित हुआ था। यह दिन तभी से सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक बन गया।
इसी दिन अहिंसा के अवतार श्रमण भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण हुआ था।
उनके प्रमुख शिष्य गौतम स्वामी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
इस प्रकार दीपावली केवल विजय का नहीं, बल्कि ज्ञान, मुक्ति और आत्मबोध का भी पर्व है। यह हमें सिखाती है कि सत्य और करुणा का प्रकाश ही जीवन का शाश्वत दीप है।
🌾 गोवर्धन पूजा: प्रकृति और श्रम का सम्मान
चौथा दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का होता है। श्रीकृष्ण ने इस दिन गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया।
यह घटना प्रकृति और समाज के बीच सह-अस्तित्व की अनोखी मिसाल है। गोवर्धन पूजा हमें यह बताती है कि प्रकृति की रक्षा और श्रम का आदर ही समृद्धि का मूल है। इस दिन अन्नकूट के रूप में धरती माता के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।
👩❤️👨 भैया दूज: स्नेह और जिम्मेदारी का पर्व
पाँचवाँ दिन भैया दूज का होता है। यमराज अपनी बहन यमुना के घर आए थे, तबसे यह दिन भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक बना। यह पर्व भारतीय परिवार व्यवस्था की आत्मा है, जहाँ संबंध केवल रक्त से नहीं, बल्कि आत्मीयता और विश्वास से जुड़ते हैं। इसका संदेश है — परिवार प्रेम की ज्योति है, जिसे दीपों से नहीं, दिलों से जलाना होता है।
🌏 विश्व में भी गूँजता दीपोत्सव का दर्शन
विश्व के अनेक देशों में इसी भाव के त्योहार मिलते हैं — चीन का लैन्टरन फेस्टिवल, थाईलैंड का लॉय क्रथोंग, यहूदी धर्म का हनुक्का और पश्चिम का क्रिसमस — सभी का मूल भाव अंधकार पर प्रकाश और हिंसा पर करुणा की विजय है। परंतु भारतीय दीपावली की विशिष्टता यह है कि इसमें धर्म, दर्शन, स्वास्थ्य, अर्थ, प्रकृति और परिवार — सभी का संतुलित समन्वय निहित है।
🕯️ प्रकाश भीतर से प्रज्जवलित होता है।
दीपावली हमें यह सिखाती है कि बाहर का दीप तभी सार्थक है जब भीतर भी प्रकाश जगे। यह पर्व व्यक्ति से समाज और समाज से समस्त मानवता तक प्रकाश फैलाने का संदेश देता है।
जब एक दीप सत्य, करुणा और ज्ञान से प्रज्ज्वलित होता है, तब सम्पूर्ण समाज आलोकित हो उठता है।
















































