सावन में शिव की उपासना करने के लिए लाखों लोग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथधाम मंदिर पहुंचकर कामना लिंग का जलाभिषेक करते हैं. मान्यता है कि सावन में गंगाजल से महादेव का अभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, लेकिन गंगाजल के साथ बेलपत्र भी भगवान शिव को बेहद प्रिय हैं.

इस तरह सजाई जाती है बेलपत्र की विशेष प्रदर्शनी:
शिव शंकर के लिए बेलपत्र के खास महत्व की वजह सेबैद्यनाथधाम के पुरोहित दुर्लभ बेलपत्रों की प्रदर्शनी लगाते हैं. ये पुरोहित दूर-दराज के जंगलों से अलग-अलग दुर्लभ प्रजाति के बेलपत्र चुन कर लाते हैं. फिर मंदिर परिसर में इनकी अनोखी प्रदर्शनी लगाई जाती है. इसे देखने के लिए हजारों श्रद्धालु इकठ्ठे रहते हैं.

कब और कैसे होता है बेलपत्र का ये अनोखा प्रदर्शन:
पुरोहितों व बांग्ला पंचांग के मुताबिक, सावन संक्रांति के बाद हर सोमवार को यहां बेलपत्र की प्रदर्शनी लगाई जाती है. बेलपत्र प्रदर्शनी में पुरोहित समाज के ही लोग हिस्सा लेते हैं, जिनमें ‘जनरैल’, ‘बरनैल’, ‘बमबम बाबा’ ‘राजाराम समाज’, ‘शांति अखाड़ा’ सहित कई पुरोहित समाज के लोग होते हैं. बैद्यनाथ धाम के मुख्य पुजारी दुर्लभ मिश्रा बताते हैं कि यह प्रदर्शनी बांग्ला पंचांग के मुताबिक, सावन माह में संक्रांति के बाद हर सोमवार की शाम मंदिर परिसर में लगती है.

दुर्लभ बेलपत्रों को इकट्ठा कर चांदी के थाल में चिपकाया जाता है और मंदिर में चढ़ाने के बाद इसे प्रदर्शनी में शामिल किया जाता है. पुजारी श्रीनाथ पंडा का कहना है कि ऐसा नहीं कि किसी भी बेलपत्र को प्रदर्शनी में लाया जा सकता है. इस प्रदर्शनी में उन्हीं बेलपत्रों को शामिल किया जाता है, जिनकी खोज पुजारी समाज के लोग खुद जंगलों से करते हैं.

By parshv