जयंतसेनधाम में श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिनालय व श्री राजेंद्रसूरि गुरु मंदिर के प्रतिष्ठांजनशलाका महामहोत्सव में मंगलवार को पंचकल्याणक पूजा, दीक्षा कल्याणक और वर्षीदान का आयोजन किया। राष्ट्रसंत जयंतसेन सूरीश्वरजी की निश्रा में शोभायात्रा निकाली। इससे पहले भगवान के 18 अभिषेक, नामकरण, पाठशालागमन, लग्न महोत्सव, मामेरा, राज्याभिषेक, माता-पिता, कुल महत्तरा द्वारा आज्ञा प्रदान के प्रसंगों का मंचन किया गया।
राष्ट्रसंत ने दीक्षा कल्याणक के प्रसंग पर कहा संयम के पथ पर चलने वाला साधक ही सिद्धि प्राप्त करता है। परमात्मा भी मोह-माया को त्यागकर संयम पथ की ओर अग्रसर होते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि त्याग बिना वीतराग बनना संभव नहीं। सिद्धार्थ काश्यप ने संगीतमय स्तवन की प्रस्तुति दी। चातुर्मास आयोजक व विधायक चेतन्य काश्यप परिवार की ओर से तपस्वी प्रकाश गुगलिया का सम्मान किया गया। दादा गुरुदेव की आरती का लाभ श्रेणिकलाल दिलीप कुमार मुकेश कुमार ओरा (आंचल टेंटवाले) ने लिया।
नमो को आत्मसात करना जरूरी-
नौ दिवसीय नवकार आराधना के दौरान मंगलवार को विभिन्न प्रांतों से आए आराधकों ने लाखों मंत्रों का जाप किया। मुनिराज निपुणर| विजयजी ने कहा नवकार के नमो का संदेश है कि महान बनना है तो नमो को आत्मसात करना ही होगा। प्रभु के सामने झुकने वाला सबको पसंद आता है, लेकिन जो सबके सामने झुकता है, वह प्रभु को पसंद आता है। नवकार आराधकों कांतिलाल दुग्गड़, शकुंतला बेबी, अशोक श्रीमाल, महेंद्र भाई आदि ने नवकार आराधना से जीवन में आए परिवर्तन साझा किए। संचालन राजकमल जैन ने किया।