जिला अस्पताल में दो महीने पहले मलेरिया विभाग का भवन खाली कर उसे हाट की चौकी के पास स्थानांतरित कर दिया गया। मलेरिया विभाग के इस भवन में ब्लड बैंक के पास स्थित आईसीडीसी (एकीकृत परामर्श जांच केंद्र) व एसटीडी (गुप्त रोग क्लीनिक) शिफ्ट कर खाली हुए इन भवनों में ब्लड कंपोनेंट यूनिट शुरू की जा सके। यह यूनिट शुरू होने से एक यूनिट ब्लड एक से ज्यादा लोगों को आवश्यकतानुसार चढ़ाने की सुविधा मिल सकेगी। सीएस डॉ. आनंद चंदेलकर ने बताया ब्लड कंपोनेंट यूनिट के लिए ब्लड बैंक द्वारा आए प्रस्ताव पर विचार करेंगे। वहां संभव नहीं हो पाया तो कुछ नया रास्ता निकालेंगे।

यह लाभ मिलेगा यूनिट शुरू होने से

रक्त में मौजूद प्लाज्मा, आरबीसी, प्लेटलेट्स, फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा को सेपरेट कर जरूरत के हिसाब से अलग-अलग मरीजों को दिया जा सकता है। प्लाज्मा व फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा – करंट या आग से प्लाज्मा कम हो जाता है। एेसे मरीजों के लिए जरूरत होती है। आरबीसी पैक्ड ब्लड – एनिमिया के मरीजों को जरूरत होती है।

यह व्यवस्था कर शुरू की जा सकती है यूनिट- ब्लड बैंक के इंचार्ज दिनेश आचार्य ने बताया ब्लड बैंक के पास बने हुए लेट-बॉथ और बायो केमेस्ट्री कक्ष के साथ बरामदे को खाली कर जगह दे दी जाए तो यहां ब्लड कंपोनेंट यूनिट शुरू की जा सकती है। जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा कुछ राशि जारी कर इसे रिनोवेट किया जा सकता है। इस तरह का प्रस्ताव जिला अस्पताल प्रबंधन को दिया जा रहा है।

ठेकेदारों का अब तक भुगतान नहीं हो सका

ब्लड कंपोनेंट यूनिट की 35 लाख 80 हजार की लागत से 12 से ज्यादा मशीनें छह महीने पहले आ चुकी है। लेकिन अब तक ठेकेदारों को अब तक भुगतान नहीं हो पा रहा है। क्योंकि जब तक मशीनें चालू नहीं हो जाती और उसकी ओके रिपोर्ट जिला अस्पताल प्रशासन द्वारा नहीं दी जाती तब तक भुगतान नहीं होना है। इसके चलते ठेकेदार भुगतान के लिए भोपाल कार्यालय पर दबाव बना रहे हैं और वहां से पत्र भेजकर जिला अस्पताल प्रशासन को जल्दी के लिए कहा जा रहा है लेकिन यहां जिला अस्पताल में मरीजों को ही ठीक से भर्ती करने के लिए जगह की दिक्कत हो रही है।

मलेरिया विभाग का खाली भवन जहां स्वास्थ्य संवाद केंद्र शुरू कर दिया गया। जबकि यहां ब्लड कंपोनेंट यूनिट शुरू करना तय किया था

By parshv