बाल चिकित्सालय में एक ही पलंग पर एक साल का उमेनन व दो साल की आयुषी भर्ती है। दोनों को उल्टी-दस्त हो रहे हैं। बाल चिकित्सालय में बेड की कमी होने से ये स्थिति बन रही है। यहां भर्ती अन्य बच्चोें की भी यही स्तिति है। कुछ बच्चों को बरामदे में माता-पिता की गोद में लेटाकर सलाइन चढ़ाना पड़ रही है।
110 बेड की क्षमता वाले बाल चिकित्सालय में 150 से ज्यादा बच्चे भर्ती हैं। कुछ का वार्ड में जमीन पर लेटाकर इलाज किया जा रहा है तो कुछ का बरामदे में मां की गोद में। राजपुरा निवासी दुर्गाबाई भाबर ने बताया दो साल की बेटी आयुषी को उल्टी-दस्त होने पर बुधवार को भर्ती कराया था। इसी पलंग पर कुुरैशी मंडी निवासी मेहरून्निसा के एक साल के पोते उमेनन को सलाइन चढ़ रही है। मेहरून्निसा ने बताया उमेनन को उल्टी-दस्त होने पर शुक्रवार सुबह ही भर्ती कराया। बरामदे में भी जगह नहीं है इसलिए डॉक्टर ने इस पलंग पर बैठकर बच्चे को गोद में लेकर सलाइन चढ़वाने का कहा। जामखेड़ी धापू ने बताया एक साल की बेटी संडा को बुखार के कारण लाए हैं। उसी के पलंग पर बुखार पीड़ित खातरापाड़ा का कान्हा पिता कैलाश भी भर्ती है।
बेड बढ़ाने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है
बाल चिकित्सालय में बेड बढ़ाने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है। वहां से अनुमति मिलने पर ही हम कुछ कर पाएंगे। डाॅ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन
बल्ब व पानी भी नहीं
जिला अस्पताल प्रभारी को बेड बढ़ाने के लिए कई बार पत्र लिखे। हमें तो बल्ब व पानी की व्यवस्था के लिए भी सिविल सर्जन को बार-बार कहना पड़ता है। तब जाकर व्यवस्था होती है। हमने बरामदे में बेड लगाने के लिए भी कहा लेकिन कोई सुविधा नहीं दी गई। 110 बेड की क्षमता वाले बाल चिकित्सालय में 150 से ज्यादा बच्चे भर्ती हैं। इससे यह स्थिति बन रही है। डॉ. आरसी डामोर, प्रभारी- बाल चिकित्सालय
तीन दिन से खाद की बोरी पर लेटा रखा है बच्चे को
बुलरीपाड़ा की सीताबाई ने बताया पोते प्रताप को तीन दिन पहले यहां लाए थे। यहां न तो बिस्तर मिला और नहीं चद्दर। बरामदे में घर से लाई गई खाद की बोरी पर बच्चे को लेटा रखा है। दो दिन पहले रात को बारिश आई तो हवा के साथ पानी अंदर आ गया। खाद की बोरी व बच्चे को ओढ़ा रखी शाल गीली हो गई। वार्ड में भी बच्चों को जमीन पर लेटाना पड़ रहा है। छायन के भूरालाल गामड़ ने बताया 2 साल के बेटे नवीन को गुरुवार दोपहर लाए। पलंग नहीं होने से बरामदे में गोद में सलाइन चढ़वा रही हूं। धबईपाड़ा की लीला की गोद में बेटे सोनू (3) को भी इसी तरह सलाई लगाना पड़ी।