मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जिसमें सबका सुख और सबका कल्याण हो वही लोक नीति है। लोक नीति ऐसी होना चाहिये जो इन लक्ष्यों की पूर्ति कर सके। मुख्यमंत्री श्री चौहान साँची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा ‘धर्म और राज व्यवस्था’ पर तीन दिवसीय चौथे धर्म-धम्म सम्मेलन के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में देश-विदेश के लगभग 200 विद्वान भाग ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि दूसरों की भलाई से बड़ा कोई धर्म नहीं है और दूसरों को तकलीफ पहुँचाने से बड़ा अधर्म नहीं है। विश्व में धर्म के नाम पर सबसे ज्यादा खून बहाया गया है पर जिसके नाम पर खून बहाया गया है वह धर्म नहीं बल्कि उपासना पद्धति है। धर्म के कई स्वरूप हैं। सत्य, अहिंसा, अस्तेय और अपरिग्रह धर्म हैं। स्नेह,प्रेम,शांति और आत्मीयता धर्म है। जो दूसरों को आनंद दे वही धर्म है। सुख तात्कालिक होते हैं और आनंद स्थायी होता है। प्रदेश सरकार ने राज्य के नागरिकों के जीवन में आनंद लाने के लिये आनंद विभाग बनाया है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि सत्य एक है पर इस तक पहुँचने के रास्ते अलग-अलग हैं। भारत में हजारों वर्ष पहले कहा गया है कि सारा विश्व एक परिवार है। प्रदेश में जनता से जुड़े फैसले समाज के उस वर्ग से बात करके लागू करने की व्यवस्था की गयी है। धर्म-धम्म सम्मेलन में आये अलग-अलग क्षेत्र के विद्वानों के विचार-विमर्श के बाद मिले निष्कर्ष को प्रदेश में लागू करने के प्रयास किये जायेंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कार्यक्रम में साँची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की काफी टेबल बुक का विमोचन किया। शुभारंभ सत्र की अध्यक्षता श्रीलंका महाबोधि सोसायटी के प्रमुख बेनेगेला उपाथिस्सा नायका थेरो ने की। कार्यक्रम में संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के मंत्री श्री सुरेंद्र पटवा, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.वाय.एस.शास्त्री़, इंडियन काउंसिल ऑफ फिलॉसाफिकल रिसर्च के अध्यक्ष श्री एस.आर. भट्ट और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार श्री राजेश गुप्ता उपस्थित थे।