खादी विभाग के कैलेंडर पर गांधी की जगह मोदी की फोटो से PMO नाराज, मांगा जवाब

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पहले जियो इसके बाद पेटीएम और अब खादी कैलेंडर पर बिना इजाजत के फोटो छापने पर पीएम मोदी नाराज हो गए हैं। एक अंग्रेजी बेवसाइट के मुताबिक खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के कैलेंडर और डायरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो का इस्तेमाल बिना इजाजत के करने से पीएमओ ने माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज मिनिस्ट्री से जवाब मांगा है।

केवीआईसी के बड़े अधिकारियों ने बताया कि पीएम मोदी इससे खासे नाराज हैं। कैलेंडर पर उनकी तस्वीर छपने पर राहुल गांधी,अरविंद केजरीवाल और विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार की आलोचना की थी। नाम नहीं छापने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि बिना इजाजत सरकारी या प्राइवेट एंटिटी की तरफ से प्रधानमंत्री के फोटो के इस्तेमाल का यह पहला मामला नहीं है।

एक बड़े अधिकारी ने बताया, ‘यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी को प्रभावित करने के लिए इस तरह काम किया गया है। प्रधानमंत्री को खुश करने या उनके करीब दिखने के लिए ऐसा पहली बार नहीं हुआ है।’ अधिकारी ने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलीकॉम कंपनी जियो और मोबाइल वॉलेट सर्विस फर्म पेटीएम के ऐड में भी प्रधानमंत्री की फोटो का बिना इजाजत इस्तेमाल हुआ था।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इसे संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया है। इसका काम देश में खादी के उपयोग को बढ़ावा देने है। केवीआईसी के कैलेंडर और डायरी में आमतौर पर महात्मा गांधी के चरखा कातने वाले ऐतिहासिक फोटोग्राफ का इस्तेमाल होता आया है।

केवीआईसी के अधिकारी नाम न बताने की शर्त पर बताया कि कैलेंडर और डायरी में महात्मा गांधी के फोटोग्राफ का इस्तेमाल नहीं करने का यह पहला मामला नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले कम से कम पांच बार आम नागरिकों के फोटोग्राफ का इस्तेमाल इनमें हो चुका है।

केवीआईसी के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री का फोटोग्राफ इसलिए यूज किया गया क्योंकि वह लोकप्रिय और खादी के भारी समर्थक हैं। अधिकारी ने बताया, ‘पिछले साल अक्टूबर में मोदीजी ने लुधियाना में महिला बुनकरों के बीच 500 चरखे वितरित किए थे। इस घटना की वजह से कैलेंडर पर उनका फोटो छापने का फैसला हुआ।’

2015 में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए केवीआईसी के प्रमुख वी के सक्सेना ने बताया कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से खादी को बढ़ावा मिला है। 2015-16 में खादी की बिक्री 34 फीसदी बढ़ी, जबकि उससे पहले के दशक में इसमें 2-7 फीसदी का इजाफा हुआ था।