विश्व बैंक का मानना है कि नोटबंदी के अस्थायी झटकों को अगर नजरअंदाज कर दिया जाए, तो कहा जा सकता है कि दीर्घावधि में इसका विकास पर सकारात्मक असर पड़ेगा। विश्व बैंक की रिपोर्ट ‘साउथ एशिया इकनॉमिक फोकस-ग्लोबलाइजेशन बैकलैश’ में कहा गया है कि इससे वित्तीय गहराई बढ़ेगी, वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहन मिलेगा और पारदर्शिता बढ़ेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 500 और 1,000 के नोटों को बंद करने की प्रमुख वजह कर चोरी को रोकना तथा भ्रष्टाचार को खत्म करना बताया गया है। यह एक काफी जटिल काम है जिसके लिए समय के साथ कई तरह के उपाय करने की जरूरत होगी। रिपोर्ट कहती है कि नोटबंदी से तात्कालिक आधार पर नकदी संकट पैदा हुआ और आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ा। पिछले साल नवंबर में सरकार ने 500 और 1,000 के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की थी और इसके स्थान पर 500 और 2,000 का नया नोट जारी किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके लिए जो प्रमुख वजह बताई गई थी उसमें कालेधन पर अंकुश, जाली नोटों पर लगाम और इलेक्ट्रानिक भुगतान को प्रोत्साहन शामिल हैं। इनमें से कर चोरी तथा भ्रष्टाचार को समाप्त करना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसपर काफी काम करने की जरूरत है। इसके लिए समय के साथ कई कदम उठाने होंगे।