रतलाम। लोकसंत ने धर्म संस्कृति की पताका फहराने का संदेश दिया। गुणानुवाद उनकी स्मृतियों को स्मरण करने का एक अवसर है। लोकसंत के गुणों व आशीर्वचनों को अंगीकार करने के बाद आचरण में उतारने का प्रयास भी करना चाहिए। उनकी वाणी का अनुसरण कर हम संत नहीं बन सके, लेकिन सच्चे भक्त तो बन सकते हैं।
ये विचार दिवंगत आचार्य लोकसंत जयन्तसेन सूरीश्वर के आत्मश्रेयार्थ तीन दिवसीय जयंतसेन पुण्योत्सव के समापन पर अतिथि वक्ता केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत ने व्यक्त किए। समापन गुरु गुणानुवाद सभा के साथ संत नर्मदानन्द महाराज के सान्निध्य में हुआ। मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि लोकसंत के विचारों और उपदेशों को आचरण में लाने से ही विश्व मानव समाज के समग्र कल्याण की भावना साकार होगी। श्रीसंघ के राष्ट्रीय महामंत्री सुरेन्द्र लोढा ने कहा कि लोकसंत आध्यात्मिक बसंत थे।
ये रहे मंचासीन
नवोदित तीर्थ जयंतसेन धाम पर लोकसन्त के नूतन पट्टधर आचार्य नित्यसेन सूरीश्वर एवं आचार्य जयरत्न सूरीश्वर की प्रेरणा से रविवार को जयंतसेन पुण्योत्सव आयोजित हुआ। यहां अतिथिगण के साथ ज्ञानी मानसिंह, आयोजक जयंतसेन धाम चेतन्य काश्यप जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के चेतन्य काश्यप, त्रिस्तुतिक श्रीसंघ के राष्ट्रीय महामंत्री सुरेन्द्र लोढा, प्रदेश अध्यक्ष शांतिलाल दसेड़ा, रतलाम श्रीसंघ अध्यक्ष डॉ. ओसी जैन, पूर्व विधायक धुलजी चौधरी, भाजपा जिलाध्यक्ष कान्हसिंह चौहान, पूर्व जिलाध्यक्ष बजरंग पुरोहित, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रमेश मईड़ा, सीसी बैंक अध्यक्ष अशोक चौटाला, निगम अध्यक्ष अशोक पोरवाल सहित विभिन्न जैन श्रीसंघों के पदाधिकारी मंचासीन रहे।
लघु फिल्म ‘गुरुवर तुमको प्रणाम का प्रसारण
समारोह में सकल जैन श्रीसंघ के अध्यक्षगण चंदनमल छाजेड़, शैलेष पीपाड़ा, अशोक लुनिया, अशोक बरमेचा, मोहनलाल पिरोदिया, अशोक बबोरी, जयंत बोहरा, राजकुमार अजमेरा, राजेश जैन भुजियावाला आदि मंचासीन थे।
युवा संगीतकार सिद्धार्थ काश्यप एवं साथियों ने गुरु गुणानुवाद भक्ति की प्रस्तुतियां दी। पुण्योत्सव में लघु फिल्म ‘गुरुवर तुमको प्रणाम का प्रसारण किया गया। संचालन अब्दुल सलाम खोकर एवं आभार सिद्धार्थ काश्यप ने माना।
लोकसंत पूर्णता के प्रतीक थे
संत नर्मदानन्द ने कहा कि अपने लिए तो सभी जीवन जीते है, लेकिन लोकसंत ने अपना संपूर्ण जीवन समाज के उत्थान के लिए न्यौछावर किया। वे पूर्णता के प्रतीक थे। गत वर्ष चेतन्य काश्यप परिवार द्वारा उनका रतलाम चातुर्मास पूरे भारत के लिए सौगात रही।
लोकसंत का आशीर्वाद अनमोल धरोहर
आयोजक चेतन्य काश्यप ने कहा कि रतलाम के प्रति लोकसन्त के मन में विशेष कृपाभाव था। यह मेरे परिवार का सौभाग्य था कि मुझे लोकसंत का 63वॉ अंतिम चातुर्मास रतलाम में जयंतसेन धाम पर करवाने का अवसर मिला। उनकी प्रेरणा व निश्रा में जयन्तसेन धाम तीर्थ की स्थापना हुई। रतलाम के सर्वसमाज ने उनके प्रति श्रद्धाभाव रखते हुए धर्म-आराधना एवं उपदेशों का लाभ लिया। उनका एक ही भाव था कि दादा गुरुदेव राजेन्द्र सूरीश्वर की स्थापित परंपरा को यतीन्द्र सूरीश्वर के आशीर्वाद से आगे बढ़ाए। इसी भाव को लेकर अंतिम समय तक वे समाज और धर्म के कार्यों में संलग्न रहे। आपने कहा कि लोकसत का मुझे 40 वर्षों से अधिक समय तक सान्निध्य मिला। उनके उपदेश और आशीर्वाद हमारे जीवन की अनमोल धरोहर है।