मंत्रिमंडल ने राजधानी में भारतीय पर्यटन विकास निगम आईटीडीसी के जनपथ होटल को बंद करने की अनुमति दे दी. अब इस संपत्ति का उपयोग सरकारी दफ्तर के लिए किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में होटल जनपथ की संपत्ति को शहरी विकास मंत्रालय को सौंप देने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई.

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, जनपथ होटल दिल्ली शहर के पॉश इलाके में स्थित है. इसकी संपत्ति का उपयोग सरकारी दफ्तरों के निर्माण या इसी प्रकार के अन्य काम के लिए किया जा सकता है जो सरकारी कामकाज के लिए किराये पर लिये जाने वाले दफ्तरों के खर्च में सरकार के कोष की बचत करेगा.

होटल जनपथ को बंद करने का निर्णय सरकार ने आईटीडीसी के भोपाल, गुवाहाटी और भरतपुर स्थित होटलों से बाहर आने के फैसले के एक महीने के भीतर लिया है. इसकी संपत्ति के भूमि उपयोग और परियोजना के लागू करने की बारीकियों पर मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति विचार करेगी.

कनॉट प्लेस से सटी 4 एकड़ की इस जमीन को अब शहरी कल्याण मंत्रालय के अधीन कर दिया जाएगा जिसपर वह सरकारी ऑफिस, कन्वेंशन सेंटर अथवा सरकारी कर्मचारियों के लिए आवास बनाने का फैसला ले सकती है. मीडियों में सूत्रों के आधार पर छपी खबरों के मुताबिक शहरी कल्याण मंत्रालय इस जमीन पर केन्द्र सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों को लिए हाउसिंग स्कीम लाने की योजना पर भी काम कर रही है. हालांकि केन्द्र सरकार में ही कुछ लोगों का दावा है कि मंत्रालय को इस प्राइम लैंड पर सरकारी आवास बनाने की जगह एक कन्वेंशन सेंटर बनाने पर गंभीरता से सोचना चाहिए.

होटल की जगह होटल क्यों नहीं?
देश की राजधानी दिल्ली में होटल की समस्या तब सामने आई थी जब 2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किया गया था. इस समय यह साफ था कि जब कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे ईवेंट कराने में देश की राजधानी सक्षम नहीं है तो भला भविष्य में ओलंपिक खेलों का आयोजन करने की दावेदारी कैसे की जाएगी?