नाट्य संस्था युगबोध द्वारा एक महीने से लगाए जा रहे बाल नाट्य शिविर का समापन रविवार को माणकचौक हायर सेकंडरी स्कूल में हुआ। समापन अवसर पर दो नाटक मुजरिम कौन… और नादान समझ… का मंचन किया गया।

नाटक को 6 से 15 साल के बच्चों ने महीनेभर की मेहनत से तैयार किया। इसमें पहला नाटक मुजरिम कौन… बीमारियों पर आधारित था। इसका मूल संदेश यह था कि किसी भी बीमारी को पैदा करने में इंसान का सबसे बड़ा हाथ होता है। नाटक में मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू मुजरिम के रूप में अपनी सफाई देते नजर आते हैं तो जज बारीकी से सभी की दलीलें सुनते हुए। मुजरिम बीमारियों का कहना था कि हमें पैदा करने वाला ही मनुष्य है। 15 मिनट के नाटक ने सभी को मनुष्य की गलती से पैदा होने वाली बीमारियों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। दूसरे नाटक नादान समझ… से बच्चों ने व्यर्थ फेंके जाने वाले भोजन को बचाने का संदेश दिया।

25 मिनट के नाटक के माध्यम से बताया गया कि किस तरह शादी, पार्टी, आयोजनों में भोजन बर्बाद होता है। जो भोजन हम बर्बाद करते हैं उससे हम करोड़ों लोगों का पेट किस तरह भर सकते हैं। 18 बाल कलाकारों ने दोनों ही नाटक के माध्यम से दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। नाटक के लेखक आशीष दशोत्तर थे। निर्देशन ओमप्रकाश मिश्र और आनंद पटोदिया ने किया।