किसान आंदोलन के दौरान रतलाम के डेलनपुर में मचे उपद्रव के मुख्य आरोपी बने कांग्रेस नेता व जिला पंचायत उपाध्यक्ष डीपी धाकड़ की रिमांड अवधि सोमवार को खत्म होने के बाद जेल पुलिस ने न्यायालय में पेश किया। इस दौरान थाना प्रभारी राजेश सिंह चौहान ने न्यायालय में प्रस्तुत होकर उपद्रव में मचे में बवाल के दौरान भड़काऊ भाषण का वीडियो जारी कर हिंसा फैलाने के मामले में पूछताछ के लिए दो दिन के रिमांड के लिए पूछताछ पर देने की अर्जी लगाई। कोर्ट ने एक दिन के रिमांड पर पुलिस को पूछताछ पर सौंपने के आदेश दिए हैं।

थाना प्रभारी राजेश सिंह ने बताया कि डीपी धाकड़ ने 28 जुलाई दोपहर करीब 3.30 बजे बाद प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी महेंद्रसिंह सोलंकी के न्यायालय में आत्म समर्पण किया था। न्यायालय ने भी उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर 31 जुलाई को पेशी नियत की थी। डीपी ने पुलिस से अपनी जान को खतरा बताते हुए न्यायिक अभिरक्षा में भेजने की गुहार लगाई थी। पुलिस द्वारा उसके परिजनों को लगातार परेशान किया जाकर एनकाउंटर करने की धमकी दी जा रही थी। यदि पुलिस को रिमांड मिलता है तो वह उसे झूठे केस में फसाकर एनकांउटर कर सकती है। इस पर न्यायालय ने उसे जेल भेज दिया था। आज उसकी न्यायिक अभिरक्षा की अवधि समाप्त होने पर कोर्ट में शासकीय अधिवक्ता और स्वयं ने पहुंचकर मामले की तस्दीक और साक्ष्यों के लिए कोर्ट से दो दिन के रिमांड अवधि पर सौंपने की अर्जी लगाई थी। कोर्ट ने एक दिन रिमांड की अवधि स्वीकार की है। इस दौरान उससे के द्वारा मोबाइल पर भड़काऊ भाषण फैलाने में उपयोग मोबाइल और आगजनी में इस्तेमाल ज्वलंत पदार्थ की केन और अन्य साथियों के वीडियो क्लिप दिखाकर शिनाख्त की जाएगी।

ये था मामला
किसान आंदोलन के दौरान 4 जून को डेलनपुर में उपद्रव हुआ था। इसमें उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव किया था, जिसमें दो पुलिसर्मी घायल हुए थे। वहीं तीन पुलिस वाहन जला दिए थे। पुलिस ने प्रकरण में 57 नामजद लोगों सहित 250 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। इसमें धाकड़ सहित 57 नामजद लोगों के खिलाफ पुलिस ने आंदोलन के उपद्रव को लेकर तीन अलग-अलग केस दर्ज किए थे। इनमें से अब तक 38 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

55 दिन तक पुलिस को छकाया
डीपी धाकड़ पुलिस की गिरफ्त से आखिर दूर ही रहा है और सीधे कोर्ट पहुंचकर आत्मसमर्पण ने पुलिस के सूचना तंत्र को फेल कर दिया। पुलिस आंदोलन के पूरे मामले में सूचना तंत्र फेल ही रहा है। पुलिस आंदोलन की उग्रता को भी नहीं भांप पहीं थी। उसी का नतीजा है कि शासकीय दो वाहन फूंक गए और एसआई पवन यादव को अपनी आंख इस आंदोलन में गंवानी पड़ी। जिसे अभी भी उम्मीद नहीं है कि उसकी रोशनी लौटेंगी। घटना के बाद 54 दिन तक फ रार रहने के बाद 55 वें दिन वह न्यायालय परिसर में मौजूद कई पुलिसकर्मियों से बचकर न्यायालय में पेश हुआ था। न्यायालय में उसने पुलिस से अपनी जान को खतरा बताकर न्यायिक अभिरक्षा में बड़ी चतुराई के साथ चला गया था।