नासा का दावा, मंगल पर था जीवन

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इमालवा – वॉशिंगटन । अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का कहना है कि क्यूरोसिटी रोवर द्वारा मंगल की सतह की चट्टानों से एकत्र किए गए नमूनों के विश्लेषण से संकेत मिले हैं कि पूर्वकाल में मंगल पर सूक्ष्मजीवों का अस्तित्व रहा होगा। नासा के मंगल अन्वेषण कार्यक्रम के प्रमुख वैज्ञानिक माइकल मेयर ने कहा, ‘इस अभियान के लिए एक मूल प्रश्न यह था कि क्या मंगल पर कभी जीवन के अनुकूल वातावरण था? अब तक मिली जानकारी के अनुसार, इसका जवाब है ‘हां’।
क्यूरोसिटी रोवर ने पिछले माह मंगल पर गेल क्रेटर में बहने वाली पुरानी धारा के पास की एक चट्टान में छेद करके जो चूर्ण निकाला था उसमें वैज्ञानिकों ने सल्फर, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, फास्फोरस और कार्बन की पहचान की है। ये कुछ ऐसे रासायनिक तत्व हैं जो जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं। मेरीलैंड स्थित नासा के गोड्डार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के प्रमुख जांचकर्ता पॉल महाफी ने कहा कि इन नमूनों से रासायनिक तत्वों की जो श्रृंखला हमें मिली है, वह वाकई प्रभावशाली है। इससे सल्फेट और सल्फाइड आदि के संकेत भी मिलते हैं जो सूक्ष्मजीवों के लिए रासायनिक उर्जा के संभव स्रोत हैं।
क्योरोसिटी नामक छह पहियों वाला रोबोट सात वैज्ञानिक उपकरणों से लैस है। यह अपनी तरह का ऐसा पहला आधुनिक वाहन है, जिसे किसी अन्य ग्रह पर भेजा गया है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि रोवर येलो नाइफ खाड़ी नामक जिस इलाके में खोज कर रहा था, वह एक पुरानी नदी व्यवस्था या रूक-रूक कर बहने वाली एक झील का अंत था। इसमें सूक्ष्मजीवों के जीवन के लिए जरूरी रासायनिक उर्जा और अन्य अनुकूल स्थितियां संभवत: रही होंगी। इसकी चट्टान बारीक मिट्टी से बनी है, जिसमें मिट्टी के खनिज, सल्फेट खनिज और अन्य रासायनिक तत्व हैं। 
 
नासा ने कहा कि यह आद्र्र वातावरण मंगल के कुछ अन्य वातावरणों की तरह बहुत ऑक्सीकारक, अम्लीय या बहुत लवणीय नहीं था। नासा के वैज्ञानिकों ने कहा कि इन मिट्टी के खनिजों की उत्पत्ति ताजे पानी की ओलीवीन जैसे आग्नेय खनिजों के साथ अभिक्रिया के फलस्वरूप हुई है, जो कि आज भी वहां की मिट्टी में मौजूद है। मिट्टी के साथ ही कैल्सियम सल्फेट की उत्पत्ति से जाहिर होता है कि मिट्टी हल्की क्षारीय या उदासीन है। नासा के अनुसार, वैज्ञानिक इस बात से हैरान हैं कि उन्हें ऑक्सीजन युक्त, थोड़ा कम ऑक्सीजन युक्त और बिना ऑक्सीजन वाले रसायनों का मिश्रण मिल गया। ये रसायन पृथ्वी पर कई सूक्ष्मजीवों को जीवन के लिए जरूरी उर्जा उपलब्ध कराते हैं।