इमालवा – नई दिल्ली | इटली के राजदूत डैनिअल मैनसिनी पर शिकंजा कसता जा रहा है। भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद देशभर के हवाई अड्डों को अलर्ट जारी कर दिया है कि मैनसिनी देश छोड़कर जाने में सफल न हों। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इटली के राजदूत पर बगैर उसकी अनुमति लिए देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके तुरंत बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने देशभर के एयरपोर्ट को सचेत करते हुए अलर्ट जारी कर दिया है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इटली सरकार द्वारा दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी मरीनों को वापस भेजने से इंकार किए जाने के बाद गुरुवार को सख्त रुख अपनाते हुए इतालवी राजदूत को नोटिस जारी किया था और शीर्ष अदालत की अनुमति के बिना उनके भारत छोड़ने पर रोक लगा दी। प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर के नेतृत्व वाली पीठ ने दोनों मरीनों मैसिमिलियानो लातोर और सल्वातोर गिरोन को भी नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों को इटली के आम चुनाव में मतदान करने के लिए स्वदेश जाने की अनुमति दी थी और इतालवी राजदूत डैनियल मेनसिनी ने उन्हें भारत वापस लाने का आश्वासन दिया था। न्यायालय ने अपने संज्ञान में यह लाए जाने के बाद आदेश पारित किया था कि इटली गणराज्य शीर्ष अदालत को दिए गए अपने आश्वासन से मुकर गया है। अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती मुद्दे को पीठ के समक्ष लेकर आए। उन्होंने कहा कि यह देश की शीर्ष अदालत को दिए गए हलफनामे का उल्लंघन है और सरकार इस बारे में अत्यंत चिंतित है। अटॉर्नी जनरल को सुनने के बाद पीठ ने राजदूत और दोनों मरीनों को नोटिस जारी किए तथा उनसे 18 मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ ने कहा कि यदि नोटिस मरीनों को नहीं मिलता है, जो फिलहाल इटली में हैं, तो फिर इसे इतालवी राजदूत के जरिए भिजवाया जाएगा। अटॉर्नी जनरल द्वारा इस मुद्दे पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किए जाने के बाद पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख आगामी सोमवार के लिए तय कर दी। घटना पिछले साल की है जब 15 फरवरी को इतालवी पोत एनरिका लेक्सी पर तैनात दो मरीनों ने केरल तट पर दो भारतीय मछुआरों को गोली मार दी थी। दोनों आरोपी मरीनों को शीर्ष अदालत ने 22 फरवरी को इतालवी राजदूत के नियंत्रण एवं हिरासत में चार हफ्ते के लिए इटली जाने की इजाजत दे दी थी, ताकि वे वहां 24-25 फरवरी को निर्धारित आम चुनाव में मतदान कर सकें। न्यायालय ने कहा था कि मरीनों को केवल इटली जाने और वहां रहने की अनुमति है तथा उन्हें भारत वापस लौटना होगा। सुप्रीम कोर्ट को मरीनों को वापस भेजने का आश्वासन देने वाली इटली सरकार ने 11 मार्च को भारत सरकार को सूचित किया कि उन्हें वापस नहीं भेजा जाएगा। इसके पूर्व 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इटली सरकार के इस आग्रह को खारिज कर दिया था कि मामला भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और व्यवस्था दी थी कि दोनों मरीनों पर विशेष अदालत का गठन कर केंद्र द्वारा मुकदमा चलाया जाना चाहिए। इसने निर्देश दिया था कि दोनों को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया जाए और विशेष अदालत का गठन होने तक वे इसकी हिरासत में रहेंगे। न्यायालय ने कहा था कि दोनों विदेशी मरीनों पर मुकदमा चलाना केरल सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और यह प्रधान न्यायाधीश की सलाह से विशेष अदालत का गठन कर केंद्र द्वारा चलाया जाना चाहिए। उन्हें जमानत प्रदान करते हुए शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि विशेष अदालत का गठन होने तक केरल की अदालत द्वारा उन पर लगाई गई सभी शर्तें जारी रहेंगी और मरीनों को हफ्ते में कम से कम एक बार चाणक्यपुरी पुलिस थाने में उपस्थिति दर्ज करानी होगी।