संजय दत्त को जाना होगा जेल: सिर्फ 1 साल घटाई सजा

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नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में फिल्म स्टार संजय दत्त को तगड़ा झटका दिया। कोर्ट ने संजय दत्त की छह साल की सजा को एक साल घटाकर पांच साल किया है। फैसले के बाद संजय दत्त को जेल जाना होगा। उन्हें कम से कम साढ़े तीन साल और जेल में बिताने होंगे। संजय करीब डेढ़ साल तक जेल में काट चुके हैं। संजय दत्त को चार हफ्ते में सरेंडर करना होगा। कोर्ट ने फिल्म स्टार की दलीलों की ठुकराते हुए कहा कि उन पर साबित हुए आरोप ऐसे नहीं हैं कि उन्हें खुला छोड़ दिया जाए। फैसले के बाद कोर्ट में ही मौजूद संजय दत्त की बहन और कांग्रेसी सांसद प्रिया दत्ता मायूस हो गईं। संजय दत्‍त ने अपनी शूटिंग रद्द कर दी है और वे मुंबई में अपने घर पर ही हैं। वह मीडिया से बात भी नहीं कर रहे हैं। उनके घर पर सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है। 

संजय दत्‍त को अवैध हथियार रखने का दोषी करार दिया गया था। उन्हें इसके लिए छह साल जेल की सजा सुनाई गई थी। बॉलीवुड स्टार संजय दत्त को टाडा कोर्ट ने नवंबर 2006 में 9mm पिस्टल और एक AK 56 राइफल को अवैध रूप से रखने का दोषी ठहराया था। हालांकि अदालत ने संजय को आपराधिक साजिश रचने के आरोपों से बरी कर दिया था। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से पहले कहा कि सजा पर चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार नहीं की जाएगी। टाडा कोर्ट ने प्रक्रिया का पालन किया है।
सुप्रीम कोर्ट, टाडा कोर्ट कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले 100 से अधिक लोगों की अपील पर ये फैसला सुना रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई नवंबर 2011 में शुरु की थी। शीर्ष अदालत ने इस मामले में अगस्त 2012 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
गौरतलब है कि 1993 में हुए मुंबई सीरियल ब्लास्ट में 257 लोगों की मौत हो गई थी और 713 लोग घायल हुए थे। धमाकों से उस समय करीब 27 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। इन विस्फोटों में 257 लोग मारे गए थे। करीब 713 लोग घायल हुए थे। टाडा कोर्ट ने इस मामले में 100 लोगों को दोषी करार दिया था। इनमें से 12 को मौत और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
सीरयल ब्लास्ट मामले में अधिकतर लोगों ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
कोर्ट ने फैसले की शुरुआत फांसी पाए दोषियों से की। याकूब मेमन को फरार आरोपियों के बाद सबसे बड़ा दोषी बताते हुए उसकी फांसी की सजा बरकरार रखी है। इस मामले में कुल 12 लोगों को फांसी की सजा मिली थी। एक दोषी की जेल में ही मौत हो गई थी और अदालत ने बाकी दस दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी है। अदालत ने इन्हें गरीब और अशिक्षित बताते हुए मोहरा बनाने की बात कही। उम्रकैद पाए 20 में से 17 लोगों की सजा बरकरार रखी गई है। एचआईवी पीड़ित एक महिला को बरी किया गया है और एक की सजा 10 साल में बदली है, उम्रकैद पाए एक कैदी की मौत हो चुकी है। इस तरह कुल 27 लोगों को उम्रकैद की सजा मिली है।