रतलाम। वेस्टर्न रेलवे इंजीनियर्स एसोसिएशन के मंडल के सदस्यों ने गुरुवार को मंडल कार्यालय पर जमकर धरना दिया। २३ प्रकार की मांग के लिए धरने के दौरान कर्मचारी नारेबाजी करते रहे। इस दौरान मंडल के विभिन्न सेक्शन से आए इंजीनियर्स उपस्थित थे।

इस दौरान धरना आयोजन को संबोधन देते हुए एआईआरईएफ के संगठन महासचिव इएसएस बुंदेला ने कहा की रेलवे बोर्ड करीब ६० हजार इंजीनियर्स के साथ भेदभाव कर रहा है। करीब दस वर्षो से हम अपनी मांग को दोहरा रहे है, लेकिन अब तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया है। ९ नवंबर को गजट अनुसार वे सभी कर्मचारी जो लेबल ६ से ९ तक में शामिल है, उनको गु्रप बी का दर्जा नहीं दिया जा रहा जबकि १ से ५ लेबल तक के कर्मचारियों को गु्रप सी का दर्जा दिया जा रहा है।

संरक्षा का काम कर सके
तीसरे व सातवे वेतन आयोग ने फिटनेस फार्मुला लगाकर वेतनमान का निर्धारण किया था। ये संरक्षा से जुडे़ कर्मचारियों के साथ भेदभाव है कि उसको मान्यता नहीं दी जा रही। इसके अलावा लगातार ये मांग की जा रही है कि इंजीनियर्स को रेलवे यूनियन आदि से दूर रखा जाए, जिससे वे अधिक बेहतर तरीके से संरक्षा का काम कर सके।

डीआरएम को सौपा मांग पत्र
इंजीनियर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने शाम तक धरना देकर मंडल रेल प्रबंधक आरएन सुनकर को करीब २३ मांग का पत्र सौपा जो रेलमंत्री के नाम का था। इंजीनियर आरएम तिवारी ने कहा की एक दिन के धरने से ये बताना चाहते है कि हम लगातार रेलवे से संरक्षा की बेहतरी के लिए काम कर रहे है, लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हो रही है। अगर समय रहते हमारी मांग पर विचार नहीं किया, तो इंजीनियर्स रेलवे में संरक्षा के मामले में अधिक बड़ा आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे। इस असवर पर इंजीनियर्स एसोसिएशन के ज्ञानेश क्षोत्रिय सहित बड़ी संख्या में इंजीनियर्स उपस्थित थे।

ये है इनकी प्रमुख मांग

– सेफ्टी टास्क फोर्स कमेटी की सिफारिशे लागू हो।

– एआईआरईएफ को खन्ना कमेटी के अनुसार मान्यता दी जाए।

– रेलवे इंजीनियर्स को गु्रप बी का दर्जा दिया जाए।

– सातवे वेतन आयोग की विसंगती को दूर किया जाए।

– समय अनुसार पदोन्नती दी जाए।

– नई पेंशन योजना को समाप्त किया जाए।