अगर राजीव गांधी जिंदा होते तो कश्मीर मुद्दे का हल बहुत पहले ही निकल गया होता। ऐसे दावे पाकिस्तान के पूर्व प्रेसिडेंट आसिफ अली जरदारी ने किया है। जरदारी का कहना है कि भारत के पूर्व पीएम राजीव और पाकिस्तान की पूर्व पीएम बेनजीर कश्मीर के सौहार्दपूर्ण तरीके से हल के लिए राजी थे, लेकिन बीच में ही चुनाव कैंपेन के दौरान राजीव गांधी की हत्या हो गई और बात वहीं रुक गई। जरदारी ने पूर्व डिक्टेटर जनरल परवेज मुशर्रफ को लेकर भी ऐसा ही दावा किया है।
– जरदारी ने लाहौर में कश्मीर रैली के दौरान कहा कि बेनजीर ने 1990 में राजीव गांधी से बात की थी और वो कश्मीर मसले को सहमति के साथ सुलझाने पर राजी भी थे।
– जरदारी ने कहा कि राजीव ने बातचीत के दौरान बेनजीर को ये भी बताया था कि पिछले 10 साल में पाकिस्तान की तरफ से जनरल जिया सहित किसी ने भी इस मुद्दे पर उनसे बात नहीं की।’
– उन्होंने आगे कहा, ‘राजीव ने माना था कि कश्मीर एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसका हल निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा भी था कि वो सत्ता में आने के बाद इस मुद्दे को पाकिस्तान के सामने उठाएंगे, लेकिन 1991 में उनकी हत्या हो गई।’
कश्मीर पर मुशर्रफ के पास था सीक्रेट प्लान
जरदारी ने पूर्व डिक्टेटर जनरल परवेज मुशर्रफ को लेकर भी एक बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर पर मुशर्रफ के पास भी एक सीक्रेट प्लान था जिसका झुकाव भारत की तरफ था, इसीलिए पाक सेना अफसरों ने इसे खारिज कर दिया था। उन्होंने मुशर्रफ के उस सीक्रेट कश्मीर प्लान की कॉपी होने का भी दावा किया।
नवाज पर लगाए आरोप
जरदारी ने रैली के दौरान पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ को भी निशाने पर लिया और उन्हें नरेंद्र मोदी का दोस्त बताया। उन्होंने कहा कि नवाज पीओके के मुजफ्फराबाद में हुई रैली में भी कश्मीर के बारे में बात नहीं कर पाए थे, क्योंकि वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त हैं। जरदारी ने कहा, ‘मोदी का दोस्त कश्मीर पर बात नहीं कर सकता। शरीफ की प्रधानमंत्री पद से विदाई ठीक ही हुई क्योंकि उन्होंने कश्मीरियों को धोखा दिया था।’