बड़े-बूढ़े अक्सर घर में स्थित में रसोई घर में घुसने से पहले जूते-चप्पलों को उतारने के लिए कहा जाता है. ऐसे में हम सोचते हैं कि साफ-सफाई को लेकर हमसे यह कहा जाता है. लेकिन हिंदू शास्त्रों के अनुसार इसे लेकर मान्यताएं हैं. दरअसल हिंदू शास्त्रों में घर को मंदिर के बराबर दर्जा दिया गया है. मान्यता है कि घर के अंदर देवी-देवता विराजते हैं. वहीं कई लोगों का कहना है कि जूते-चप्पल उतार कर अंदर जाने से किटाणु प्रवेश नहीं कर पाते हैं. दूसरी ओर वास्तु शास्त्र का मानना है कि अगर हम घर में जूते-चप्पल नहीं पहनते हैं तो इस वजह से नकारात्मक ऊर्जाएं घर के भीतर प्रवेश नहीं कर पाती हैं.
दरअसल घर के कई हिस्सों में जूते-चप्पलों को पहनकर धूमने को मना दैवीय उर्जा के वास के लिए किया जाता है. ऐसे में रसोई को घर का एक अहम हिस्सा माना जाता है क्योंकि रसोई में घर में रहने वाले लोगों के लिए खाना तैयार होता है. भोजन पकाने के लिए घर की रसोई में अग्नि प्रज्जवलित की जाती है. ऐसे में शास्त्रों में अग्नि और अन्न को पूजनीय माना जाता है. इसलिए ही रसोई घर में जूते-चप्पल पहनकर अंदर जाने के लिए मना कर दिया जाता है.
वहीं घर में स्थित भंडार घर में भी जूते-चप्पल पहनकर जाना मना बताया गया है. दरअसल भंडार घर में अन्न रखा जाता है. और अन्य को देव तुल्य माना जाता है. मान्यता है कि अगर हम किसी भी तरह से अन्न का अपमान करते हैं तो इसका हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डल सकता है. इसके साथ ही जूते-चप्पल पहनकर घर की तिजोरी में भी जाना मना किया जाता है. माना जाता है कि घर की तिजोरी में धन रखा जाता है जो मां लक्ष्मी का रूप माना गया है. इसलिए जिस तरह से रसोई घर या पूजा घर में जूते-चप्पल पहनकर जाना मना है, उसकी तरह ही जहां धन रखा जाता हो वहां भी इस तरह जाने के लिए मना कर दिया जाता है.