भौतिकशास्त्र जैसे कठिन विषय को सरल शब्दों एवं प्रयोगों के माध्यम से समझाया जाए तो यह आसानी से समझ में आ जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि जटिल शब्दावली से शिक्षक बचें और विद्यार्थियों को भौतिकशास्त्र के रुचिकर पक्ष से समझाने का प्रयत्न करें।

उक्त विचार गुजराती साईंस कालेज के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. पी.के. दुबे ने शिक्षा विभाग तथा आईपीटीए एवं आरपीटीए के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में जिले के भौतिकशास्त्र के व्याख्याताओं को अध्यापन के आसान तरीकों से रूबरू कराते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर इंदौर के प्रो. मनीष जोशी, आईपीएस अकेडमी की डॉ. उषासिंह, डॉ. डी.एस. वाघेला, डा. एस.के. जोशी एवं उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य सुभाष कुमावत अतिथि के रुप में उपस्थित थे। अतिथि विद्वानों ने भौतिकशास्त्र के मूलभूत सिद्धान्तों, नवीन अवधारणाओं के माध्यम से सिद्धान्तों को समझाया।

इस दौरान यंग द्वि स्लिट प्रयोग की अवधारणा, फैराडे एवं लेन्ज के नियम की सरल अवधारणा, भंवरधारा की अवधारणा को प्रयोगों के माध्यम से समझाया गया। इंस्टीट्यूट आफ प्लाज्मा रिसर्च अहमदाबाद के सहयोग से प्राप्त सामग्री से छात्रों को पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज्मा की जानकारी दी गई। प्रो. मनीष जोशी ने इस दौरान कक्षा 12 वीं के विद्यार्थियों के लिए इलेक्ट्रानिक्स को सरल तरीके से प्रस्तुत करने के उपाय बताए। डा. उषासिंह ने प्रयोगों के माध्यम से प्रकाश के परावर्तन एवं अन्य गुणों की व्याख्या की, जिसे उपस्थित विद्यार्थियों ने काफी पसंद किया। डा. डी.एस वाघेला ने भौतिकशास्त्र की बारीकियों से अवगत कराते हुए उपस्थितजनों से आग्रह किया कि सरल तरीके से समझने पर कोई विषय कठिन नहीं रहता है, इस बात को ध्यान में रखते हुए हम अपना दायित्व निभाएं तो विद्यार्थियों को कोई परेशानी नहीं होगी।

डा. एस.के. जोशी ने कहा कि विद्यार्थियों को समझाने के लिए शिक्षक को सबसे पहले स्वयं विद्यार्थी बनना पड़ता है और उसके बाद ही यह तय हो सकता है कि विषय कितना कठिन है और उसे किस तरह सरलता से प्रस्तुत किया जा सकता है। प्रारम्भ में अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की। अतिथियों का स्वागत सुधीर गुप्ता, अरविन्द गुप्ता, जितेन्द्र जोशी, विरेन्द्र मिण्डा, ललित मेहता, माधुरी फणनीस, गजेन्द्रसिंह राठौर एवं उपस्थित शिक्षकों ने किया। संचालन आशीष दशोत्तर ने तथा आभार दिलीप मूणत ने व्यक्त किया।