मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार धमाकों के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय के संजय दत्त की पुनर्विचार याचिका के शुक्रवार को खारिज करने के बाद मामले में शामिल शीर्ष वकीलों ने कहा कि अभिनेता के पास आत्मसमर्पण करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है और उन्हें राहत मांगने की बजाय अपनी सजा काटनी शुरू कर देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला अपेक्षित और…

मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार धमाकों के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय के संजय दत्त की पुनर्विचार याचिका के शुक्रवार को खारिज करने के बाद मामले में शामिल शीर्ष वकीलों ने कहा कि अभिनेता के पास आत्मसमर्पण करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है और उन्हें राहत मांगने की बजाय अपनी सजा काटनी शुरू कर देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला अपेक्षित और पूर्व निश्चित निष्कर्ष है। मुंबई धमाके मामले में कई आरोपियों का बचाव करने वाले जाने-माने फौजदारी वकील माजिद मेमन ने कहा, इसमें कुछ नया नहीं है। अगर उन्हें कुछ राहत मिलती तो यह खबर होती।
उन्होंने आगे कहा, उनके पास निर्धारित दिन पर आत्मसमर्पण करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। :जेल: जाएं और उसके बाद सजा में माफी के लिए राहत मांगे। मुझे उम्मीद है कि उन्हें माफी मिल सकती है।
मेमन ने कहा कि यह अभिनेता के लिए सारी उम्मीदें समाप्त नहीं हो गई हैं क्योंकि विभिन्न लोगों और संगठनों की ओर से दायर याचिकाओं पर किसी भी दिन सुनवाई हो सकती है और उनके पक्ष में फैसला हो सकता है।
वहीं, उज्ज्वल निकम ने कहा कि फैसला अपेक्षा के अनुरूप है। निकम मुंबई बम कांड में चले मुकदमे में अभियोजन पक्ष के वकील थे।