इमालवा- शोध से ये बात सामने आई है कि जो लोग अधिक मात्रा में गुटखा और तंबाकू खाते हैं उन्हे कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। गुटखा और तंबाकू से होने वाले मुख कैंसर को अब देसी इलाज पध्दती से रोका जा सकता है। कई प्रकार के शोधों में पाया गया कि तुलसी और हल्दी से मुंह में होने वाले इस जटिल रोग का इलाज संभव है। यूं तो हम हल्दी और तुलसी के प्राकृतिक गुणों से पहले से ही परिचित हैं अब इन दोनों की इसी विशिष्टता का उपयोग ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस डिसीज जो आगे चलकर मुख कैंसर बन जाता है, के इलाज हेतु भी
किया जा सकेगा।
करीब एक वर्ष तक चले शोध को डेंटल कौंसिल ऑफ इंडिया पहले ही मान्यता प्रदान कर चुकी है। मार्च 2013 में बीएचयू ने भी चिकित्सकों की देखरेख में इस पद्धति से उपचार करने की अनुमति प्रदान कर दी। कुछ नामी अस्पतालों में हल्दी और तुलसी के संयोग से बनी औषधि से उपचार पध्दती से इलाज किया भी जा रहा है। मुख रोग के इलाज में तुलसी और हल्दी का अपने आप में यह पहला प्रयोग है।
1.कैसे होता है इलाज-सबसे पहले हल्दी और तुलसी की सूखी पलियों को पीसकर पाउडर बनाया जाता है। पाउडर को ग्लिसरीन में मिलाकर मुंह की मासपेशियों पर लगाया जाता है। पीडित व्यक्ति को इलाज के पूर्व गुटखा छोड़ना पड़ता है।
2.रोग के लक्षण-गुटखा खाने से मुंह खोलने वाली मासपेशियों का लचीलापन समाप्त हो जाता है और वो कड़ी हो जाती हैं। मुंह का खुलना धीर-धीरे कम हो जाता है और मुंह से लेकर गले तक जलन होने लगती है। जीभ के घूमने की गति भी धीमी हो जाती है। स्वाद लेने की क्षमता कम हो जाती है। लापरवाही बरतने पर यही आगे चलकर मुख कैंसर में बदल सकता है। यह धीरे-धीरे गले को भी जकड़ लेता है। सर्वे में ये बात सामने आई है कि भारतीय युवाओं को यह रोग सबसे ज्यादा होता है क्योंकि युवा ही सर्वाधिक गुटखा खाते हैं।
3.तुलसी और हल्दी ही क्यों-वैसे तो तुलसी और हल्दी में कुदरती आयुर्वेदिक गुण होते ही हैं मगर इसमें कैंसर रोकने वाले महत्वपूर्ण एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी होते हैं। तुलसी इस रोग में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देती है। घाव भरने में भी तुलसी मददगार होती है। तुलसी और हल्दि आसानी से सुलभ दोनों आयुर्वेदिक औषधियों का सहारा लिया जा सकता है। अभी तक ओएसएमएफ रोग के लिए तुलसी और हल्दी का प्रयोग नहीं किया गया था।
4.सस्ता इलाज-इसके इलाज में बहुत कम खर्च आता है। ओएसएमएफ रोग के प्रारंभिक चरण में इलाज शुरू हो जाए तो दो हजार रूपये में पीडित पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगा, साथ ही आगे होने वाली भयानक बीमारी जैसे केंसर से भी बच सकता है।