उत्तर प्रदेश के वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर शिव भक्तो द्वारा अनोखी होली खेली जाती है । जहां आप ने रंगों से होली तो आपने खूब खेली होगी, लेकिन महादेव की नगरी की बात ही निराली है। बनारस के मणिकर्णिका घाट पर शिव भक्त, राख से होली खेलते हैं।भस्म भी ऐसा-वैसा नहीं, महाश्मशान में जलने वाले इंसानों के राख से होली खेली जाती है।गौरतलब है कि मर्णिकर्णिका घाट को ऐसा घाट कहा जाता है, जहां कभी चिता की आग शांत नहीं होती। रंगभरी एकादशी के ठीक अगले दिन यह होली बनारस में बाबा के भक्तों द्वारा खेली जाती है। ढोल और डमरू के साथ पूरा ये श्मशान हर हर महादेव के नाम से गुंजायमान होता हैं।
चिता भस्म
मान्यता है कि स्वयं महादेव किसी न किसी रूप में मौजूद रहते हैं। रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ माता पार्वती की विदाई कराकर पुत्र गणेश के साथ काशी पधारते हैं। महादेव के सबसे प्रिय भूत-पिशाच, दृश्य-अदृश्य आत्माएं। रंगभरी एकादशी के अगले दिन महादेव अपने प्रिय भक्तों के साथ महाश्मशान पर होली खेलते पहुंचते हैं। वहां चिता की भस्म से होली होती है।