एक बार एक राजा ने अपने राज्य में यह ऐलान करवा दिया कि जो सबसे बड़ा आलसी होगा मैं उसे फ्री में खाना और कपड़े दूंगा एक महीने तक यह सुनकर गांव के बहुत सारे लोग महल में आ गए और अपने आपको असली आलसी बताने लगे.
वह ना कुछ करते सारा दिन बैठे रहते आराम से राजा का दिया खाना खाते और कपड़े पहनते राजा को यह सब देखकर बड़ा अचंभा हुआ उसने कहा मैं तो एक या दो अलसी ही ढूंढ रहा था यहां तो पूरा का पूरा गांव आलस से भरा है
सारे के सारे बिना काम किए मजे से खाना खाते हैं और आराम करते हैं इससे तो उसके राज्य में और आलस फैल जाएगा और कोई भी कुछ काम नहीं करेगा राजा का एक सलाहकार था जिसका नाम अब्बू था अब दूसरों के लिए गांव से बाहर गया था.
जब वह वापस लौटा तो राजा ने उसे सारी बात समझाई राजा बोला अब मैं इतने सारे लोगों को एक साथ खाना और कपड़े कब तक दूं अब्बू ने कहा राजा साहब आपकी बात ठीक है मेरे पास एक योजना है अगर आप आज्ञा दे तो मैं बोलूंगा,
शाहजहां ने कहा तुम्हारा जो मन हो वह करो पर मुझे एक सबसे बड़ा आलसी दे दो अब्बू ने अगले दिन सुबह यह ऐलान करवा दिया कि जितने भी आलसी हैं सब महल के मैदान में जमा हो जाए उन्हें एक सोने का सिक्का दिया जायेगा सब के सब लालच में जमा हो गए
अब्बू ने कहा अब तुम सब महल के चारों तरफ दीवार के सहारे फैल जाओ और जब तक मैं ना कहूं वहां से मत हिलना सारे अलसी महल के चारों कोनों में फैल गए और खड़े हो गए अब्बू ने एक सपेरे को बुलाया और उससे कहा तुम ऐसे बड़े-बड़े 200 सांप लाओ जिन में जहर ना हो.
वह सारे सांप उसने महल के चारों कोनों में छोड़ दिए सब के सब या तो दीवार पर चढ़ गया पेड़ पर चढ़ गए पर उनमें से एक ही ऐसा आलसी था जो वहीं खड़ा रहा और उसके पूरे शरीर पर चढ़ गया पर वह वहां से हिला नहीं
अब्बू ने कहा राजा साहब यह है आपके राज्य का सबसे बड़ा आलसी जो इतना आलस भरा है कि अपनी अपने आप को मरता देख भी वहां से हिला नहीं और भागा नहीं राजा ने उसे अपने पास बुलाया और उसे इनाम दिया.