देश के समस्त मुस्लिम भाईयों-बहनों को ‘रमजान’ की दिली मुबारकबाद व शुभकामनाएं: मायावती

0

लॉकडाउन के बीच शुरू हो रहे मुस्लिम समुदाय के पवित्र महीने पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने दिली मुबारकबाद व शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘1. देश के समस्त मुस्लिम भाईयों-बहनों व उनके परिवार वालों को रमज़ान के मुबारक महीने की दिली मुबारकबाद व शुभकामनाएं। अलस्सुबह से लेकर शाम तक के रोज़े (उपवास) व नित्य कामकाज के साथ ही तिलावत-ए-कुरआन, नमाज़ व तरावीह आदि के इस फर्ज़ महीने में ज़कात (दान) इस माह की ख़ास ख़ूबियाँ हैं।’’

2. वैसे तो नमाज, इफतार, तरावीह आदि साथ मिलजुलकर करने का अमल है, लेकिन कोरोना प्रकोप का तकाज़ा है कि ये इबादतें घर में रहकर ही की जाएं व लॉकडाउन नियमों का सख्ती से पालन किया जाए ताकि आप व आपके पड़ोसी दोनों ही कोरोना वबा से महफूज रहें। व्यापक देश व जनहित हित में यही कहना है।’’

लॉकडाउन की वजह से लाेगाें के चेहरे पर रौनक गायब
गाैरतलब है कि रमजान का महीना आते ही लोगों के चेहरे पर एक रौनक आ जाती है, इस बार वो गायब है। चांद दिखने से पहले ही जोरशोर से तैयारियां शुरू हो जाती हैं, खाने-पीने के खास सामान खरीदे जाते हैं, इस बार वो सब भी बंद है। लॉकडाउन के बीच यह पहला रमजान होगा, ऐसे में कई चीजें पहली बार होंगी। मुस्लिम मोहल्लों में सहरी के वक्त की रौनक और चहलपहल नहीं होगी, इफ्तार पार्टियां नहीं होंगी लेकिन रमजान में हर वो का लोग कर पाएंगे जो जरूरी है। रोजे रखने में कोई दिक्कत नहीं है, घर में 5 वक्त की नमाज पढ़ सकते हैं, फैमिली के साथ सहरी और इफ्तार कर सकते हैं, जकात दे सकते हैं, जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं।

परिवारवालों के साथ नमाज अदा करेंः शाही इमाम डॉ. मुफ्ती
फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ. मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम कहते हैं कि इस बार के रमजान अलग हैं। लॉकडाउन का सबको पालन करना है, सरकार और डॉक्टर जैसा कह रहे हैं उसे फॉलो करना है। वह कहते हैं कि हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करना है, यह ठीक है कि आप बाहर नहीं जा सकते, मस्जिद में जमात से नमाज अदा नहीं कर सकते लेकिन अल्लाह ने आपको मौका दिया है कि इस रमजान अपने घर में परिवारवालों के साथ नमाज अदा करें, इफ्तार और सहरी करें।