नई जगह – तेनालीराम की कहानी

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महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में एक बार एक साधु बाबा आए। बाबा ने महाराज की बहुत तारीफ की। वह महाराज की तारीफ के पुल बांधे ही जा रहे थे। अपनी इतनी तारीफ सुनने में महाराज को बड़ा आनंद आ रहा था और खुशी के मारे फूले नहीं समा रहे थे। महाराज ने बाबा को शाही मेहमान घोषित कर दिया और अपने महल में एक कक्ष रहने के लिए दिलवा दिया। तीन-चार दिन महल में रहने के बाद बाबा महाराज से अनुमति लेकर वहां से चले गए।

कुछ दिनों के पश्चात महाराज ने तेनालीराम को बुलवाया और उनसे कहा कि तेनाली हमारा सैर करने का मन कर रहा है। आप हमें हमारे राज्य की किसी नई जगह पर घुमाने ले चलिए जहां हम पहले कभी ना गए हों। तेनाली बोले, “महाराज बहुत अच्छा हुआ जो आपने खुद मुझसे सैर पर जाने का आग्रह किया, मैं तो खुद आपको एक नई जगह दिखाने ले जाना चाहता था। लेकिन इस नई जगह पर जाने की एक शर्त है, हमें अपनी पूरी सेना के साथ वहां जाना होगा।”

शर्त सुनकर महाराज अचंभित हो गए और बोले, “तेनाली यह कैसी जगह है जहां हमें अपने ही राज्य में पूरी सेना के साथ जाना होगा?”
तेनाली बोले, “जी महाराज कुछ ऐसी ही जगह है, हमें पूरी सेना के साथ ही वहां जाना होगा।”
“तो फिर ठीक है कल सुबह हम आपके साथ नई जगह सैर पर चलेंगे और सेना भी हमारे साथ जाएगी।” महाराज ने कहा।

अगले दिन भारी सेना के साथ तेनाली महाराज को लेकर सैर पर निकल पड़े। तेनालीराम ने नए नए रास्तों से होकर राज्य के कई सुंदर स्थान महाराज को दिखाए। महाराज को बड़ा आनंद आ रहा था। हरे-भरे जंगली रास्तों से होते हुए महाराज का काफिला पहाड़ी रास्तों पर पहुंच गया। सेना को थोड़ी दूरी पर रुकने का इशारा करते हुए तेनाली महाराज को पहाड़ियों मैं एक गुफा के पास ले गए। महाराज ने देखा की गुफा में वही साधु बाबा बैठे हैं जिन्होंने दरबार में आकर महाराज की बहुत तारीफ की थी।

महाराज तेनाली से बोले, “अरे तेनाली ये तो वही संत बाबाजी हैं, कितने अच्छे हैं बेचारे, महल छोड़कर यहां पहाड़ियों में तपस्या कर रहे हैं।”
तेनाली बोले, “महाराज ये कोई संत बाबा नहीं है, यह पड़ोसी देश का जासूस है। दरबार में जब यह आपकी बहुत ज्यादा तारीफ कर रहा था तभी मुझे इस पर शक हो गया था। मैंने अपने एक जासूस को इसके पीछे लगा दिया। महल में यह हमारी टोह लेने के लिए आया था और हम पर हमला करने की तैयारी में इस गुफा के अंदर इन्होंने भारी सेना इकट्ठी कर रखी है।”

महाराज ने तुरंत अपने सैनिकों को आदेश दिया और गुफा में छिपी पूरी सेना को कैद कर लिया तथा तेनाली को बहुत-बहुत धन्यवाद किया।