बाढ़ पीडि़त केदारनाथ और आस-पास के इलाकों में तलाशी एवं राहत अभियान लगभग पूरा हो गया है। सेना को कोई अन्य जीवित व्यक्ति नहीं मिला है और रक्षा एवं अद्धसैन्य बल के जवान अब अपना तलाशी एवं राहत कार्य समेट रहे हैं।
रुद्रप्रयाग जिले में बचाव अभियानों के नोडल अधिकारी रविनाथ रमन ने गुप्तकाशी में कहा, ‘केदारनाथ के आस-पास के जंगलों में अब कोई जीवित व्यक्ति नह…
बाढ़ पीडि़त केदारनाथ और आस-पास के इलाकों में तलाशी एवं राहत अभियान लगभग पूरा हो गया है। सेना को कोई अन्य जीवित व्यक्ति नहीं मिला है और रक्षा एवं अद्धसैन्य बल के जवान अब अपना तलाशी एवं राहत कार्य समेट रहे हैं।
रुद्रप्रयाग जिले में बचाव अभियानों के नोडल अधिकारी रविनाथ रमन ने गुप्तकाशी में कहा, ‘केदारनाथ के आस-पास के जंगलों में अब कोई जीवित व्यक्ति नहीं मिल रहा है। सभी जीवितों को बाहर निकाल लिया गया है।’ एनडीआरएफ के अधिकारी ने कहा, ‘हमारे दल रामबाड़ा , गौरीकुंड और केदारनाथ में भी थे लेकिन वे रात तक लौट आएंगे। सेना और अद्र्धसैन्य बल के जवानों ने जंगल की बारीकी से तलाशी ली है। अब वहां और लोग नहीं है। सभी जीवित व्यक्तियों को निकाल लिया गया है।’
शवों के गलने और सड़ने के कारण बदबू आ रही है जिसकी वजह से एनडीआरएफ के कुछ जवानों ने मास्क से अपने मुंह ढके हुए हैं। रमन ने कहा, ‘शव इतने अधिक सड़ और गल चुके हैं कि उन्हें हटाया नहीं जा सकता। हमें उनका वहीं पर दाह संस्कार करना होगा जहां वह मिले हैं।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन बारिश इस कार्य को मुश्किल बना देगी। आगामी दिनों में भारी बारिश होने की संभावना है।’
रमन ने बताया कि सोमवार तक मिले शवों के अनुसार मृतकों की संख्या 1000 थी। केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दिल्ली में कहा कि शवों की संख्या अधिक हो सकती है। इलाके में बारिश की चेतावनी के मद्देनज़र सोमवार सुबह से बचाव अभियान तेज कर दिया गया है। सुबह भारी बारिश के कारण सोन प्रयाग जाने वाला रास्ता बंद हो गया था जिसे तेजी से साफ किया गया ताकि बचाव कार्य तेजी से चलाया जा सके।
गुप्तकाशी में स्थानीय लोगों द्वारा संचालित की जा रही समन्वय समिति तीर्थयात्रियों और लापता लोगों के संबंधियों को जल्द से जल्द वहां से जाने की अपील कर रही है। एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने कहा कि अब शवों पर कीटनाशक छिड़कने का काम बचा है। लापता लोगों के मिलने की उम्मीद अब कम ही है। उन्होंने कहा, ‘बादल फटे हुए एक सप्ताह से अधिक समय हो गया है। जो लोग बाहर नहीं निकाले गए हैं या जिन्हें स्थानीय लोगों ने शरण नहीं दी है, उनका बिना भोजन और पानी के बचना बहुत मुश्किल है। इन जंगलों में गर्म कपड़ों और शरण के बिना एक रात बिताना भी घातक साबित हो सकता है।’