नई दिल्ली, चुनावी रणभेरी से पहले ही ओखला विधानसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। अपनी दावेदारी को लेकर इलाके के दो दिग्गज आमने-सामने आ गए हैं। ऐसे में पार्टी के लिए दो दिग्गजों में से एक को चुन पाना आसान नहीं होगा।

ओखला सीट पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद व दिल्ली के पूर्व मंत्री परवेज हाशमी के बेटे फरहान हाशमी ने अपना दावा ठोक दिया है। जबकि शीला दीक्षित की पहल पर ओखला के वर्तमान विधायक मोहम्मद आसिफ हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। समझा जा रहा है कि मुख्यमंत्री द्वारा कांग्रेस का टिकट देने के आश्वासन के बाद ही आसिफ ने कांग्रेस का दामन थामा है।

विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि विधानसभा चुनाव की उम्मीदवारी के लिए जिन लोगों ने कांग्रेस के फार्म लिए हैं, उनमें ओखला से फरहान का नाम भी शामिल है। जानकारों की मानें, तो मुख्यमंत्री दीक्षित व हाशमी के बीच सियासी रिश्ता छत्तीस का रहा है। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में हाशमी इस सीट से जीते थे। उनके राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद जब इस सीट के लिए उपचुनाव हुआ, तो कांग्रेस ने फरहाद सूरी को उम्मीदवार बनाया था। इसी चुनाव में आसिफ राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर इस सीट से विजयी रहे। कांग्रेस में मजबूत दखल रखने वाले परवेज हाशमी का ओखला में दबदबा रहा है। दूसरी ओर उनकी आसिफ से तगड़ी प्रतिद्वंद्विता भी रही है। अब यहां से आसिफ को कांग्रेस का टिकट मिलने का मतलब होगा, हाशमी का इस क्षेत्र से दबदबा खत्म हो जाना। ऐसा वह किसी भी कीमत पर नहीं होना देना चाहेंगे। शायद यही वजह है कि उन्होंने अपने बेटे को यहां से पार्टी का प्रत्याशी बनाने की कवायद तेज कर दी है। जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री ओखला से आसिफ को टिकट दिलाने में पूरी ताकत लगाएंगी और अपने बेटे के लिए हाशमी भी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। जाहिर तौर पर इस सीट के लिए सियासी घमासान होगा। कहा जा रहा है कि मोहम्मद आसिफ, राम सिंह नेताजी सहित अन्य लोगों को कांग्रेस में शामिल कराने से पूर्व मुख्यमंत्री ने बाकायदा कांग्रेस हाईकमान की अनुमति हासिल कर ली थी। ऐसे में आसिफ को टिकट मिलने की संभावना ज्यादा है। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि हाशमी अपने किले को बचाने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

By parshv