मां दुर्गा की छठी विभूति हैं मां कात्यायनी। शास्त्रों के अनुसार कात्यायन ऋषि के तप से प्रसन्न होकर मां आदि शाक्ति ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में अवतरित हुई। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण माता कात्यायनी कहलाती हैं।
शास्त्रों के मुताबिक जो भक्त दुर्गा मां की छठी विभूति कात्यायनी की आराधना करते हैं मां की कृपा उन पर सैदव बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि कात्यायनी माता का व्रत और उनकी पूजा करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है।
मां कात्यायनी का प्रसिद्ध मंदिर
दिल्ली में छत्तरपुर में मां आद्य कात्यायनी का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर को सिद्ध स्थान माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में कात्यायनी देवी का पौराणिक स्थान है। इसकी गणना देश के प्रमुख शक्तिपीठों में की जाती है। उत्तर प्रदेश में ही भगवान शिव की नगरी काशी में आत्मावीरेश्वर-मंदिर में काशी की नवदुर्गा के अन्तर्गत कात्यायनी माता का स्थान है।
मां कात्यायनी को पसंद है शहद
मां कात्यायनी ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर महिषासुर से युद्ध किया। महिसासुर से युद्ध करते हुए मां जब थक गई तब उन्होंने शहद युक्त पान खाया। शहद युक्त पान खाने से मां कात्यायनी की थकान दूर हो गयी और महिषासुर का वध कर दिया। कात्यायनी की साधना एवं भक्ति करने वालों को मां की प्रसन्नता के लिए शहद युक्त पान अर्पित करना चाहिए।
पांच प्रकार की मिठाई
मां कात्यायनी की साधना का समय गोधूली काल है। मान्यता है कि इस समय में धूप, दीप, गुग्गुल से मां की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है। जो भक्त माता को पांच तरह की मिठाईयों का भोग लगाकर कुंवारी कन्याओं में प्रसाद बांटते हैं माता उनकी आय में आने वाली बाधा को दूर करती हैं और व्यक्ति अपनी मेहनत और योग्यता के अनुसार धन अर्जित करने में सफल होता है।