आगामी लोकसभा चुनावों में किसानों के वोटों की फसल काटने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही चार से पांच हजार करोड़ रुपये का एक और दांव चल सकती है।
इसके तहत सरकार का इरादा जल्द ही वानिकी सुधार नीति के नाम से एक नई योजना शुरू करने का है। इस योजना का मकसद वृक्षारोपण के जरिए न सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त कराना है, बल्कि कृषि योग्य भूमि का दायरा बढ़ाना भी है।
इस योजना को शुरू करने का सुझाव सोनिया गांधी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद यानी एनएसी ने दिया है। इस पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।
एनएसी ने सरकार को वन क्षेत्र का दायरा बढ़ाने के लिए वानिकी सुधार नीति लागू करने का सुझाव दिया है। इस नीति के तहत देश भर में वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत करना है।
वृक्षारोपण अभियान का उद्देश्य पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाना है। खास बात यह है कि इस अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में जहां किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही गई है।
वहीं शहरी क्षेत्र में गरीबों को इस अभियान से जोड़ा जाना है। इस अभियान को ग्रामीण विकास, कृषि और पर्यावरण मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालय के सहयोग से शुरू किया जाएगा।
एनएसी ने सरकार को यह भी सुझाव दिया है कि आगामी चुनाव से पहले इस नीति को लागू किया जाय। इसके लिए नीति का मसौदा तैयार करने के लिए वह 200 करोड़ रुपये तत्काल मंजूर करे।
एनएसी का कहना है कि चार से पांच हजार करोड़ रुपये की योजना से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर तो बढ़ेंगे ही। साथ ही पर्यावरण को हरा-भरा बनाने में भी मदद मिल सकेगी।
वानिकी नीति का सर्वाधिक लाभ टिम्बर क्षेत्र को मिलेगा। टिम्बर पर आयात निर्भरता कम होगी। हालांकि वानिकी से संबंधित देश में अभी आधा दर्जन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिसमें नेशनल फारेस्ट पॉलिसी और बम्बू मिशन मुख्य हैं।
















































