नई दिल्ली। क्या आपको अपने बालों की कीमत का अंदाजा है। नहीं ना। नाई की दुकान पर बाल कटाते वक्त आपको इस बात का एहसास भी नहीं होगा कि ये आपके ये बाल करोड़ों-अरबों रुपये के कारोबार का हिस्सा बनने वाले हैं। यह कारोबार ऐसा वैसा नहीं बल्कि 2,500 करोड़ रुपये का है। जी हां, ये है भारत में बालों की खेती का कारोबार।

लेकिन बाल के बाजार पर नजर डालें, तो गुणवत्ता सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। इस बाजार में ‘वर्जिन हेयर’ की जबर्दस्त मांग है। वर्जिन हेयर यानी ऐसे बाल जिनमें कोई रंग नहीं लगाए गए हैं और कोई इलाज भी नहीं हुआ है। भारत से आयात किए जाने वाले ज्यादातर बाल इसी श्रेणी में आते हैं। ऐसे बाल अमरीका, चीन, ब्रिटेन और यूरोप के अन्य हिस्सों में काफी लोकप्रिय भी हैं

ट्रेंडकों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षो में अपना बाल बेचने वाले लोगों ने बड़ी संख्या में पूछताछ की है। सेंट्रल लंदन स्थित ब्लूम्सबरी विग्स के मालिक ग्राहम वेक का कहना है कि अपने बाल बेचने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। उन्होंने बताया कि पिछले साल हमने 20 हजार पाउंड के बाल खरीदे थे और इस साल हमें इसके दोगुना होने की उम्मीद है।

रंगे बालों की मांग कम है इसलिए ये मांग पुरी करता हैं मंदिर और ग्रामीण भारत। मजे की बात तो ये है कि मंदिरों में बालों की नीलामी भी की जा रही है। तिरूमाला तिरूपति देवास्थान ने श्रृद्धालुओं के बालों का ई-ऑक्शन कर 74 करोड़ रुपये जुटाए थे। वहीं, इसी साल जून में मंदिर ने 130 करोड़ रुपये जुटाए थे। पिछले कुछ सालों से बालों का बाजार अब धीरे-धीरे बदल रहा है। जैसे कि दक्षिण भारत की महिलाएं अपने बालों के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करतीं। हेयर एक्सपोर्टस का कहना है कि आज कल अच्छी क्वालिटी के बालों का मिलना मुश्किल हो गया है। बड़े शहरों में लोग अपना लूक बदले के चक्कर में बालों के साथ छेड़छाड़ करते हैं। इसलिए निर्याताओं को मंदिरों की शरण में जाना पड़ता है।

मंदिरों के बाद ग्रामीण भारत में महिलाओं के बालों का नंबर आता है क्योंकि व ना तो रंग लगाती हैं या ब्लिच करती हैं। गौरतलब है कि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मंदिरों से बालों का निर्यात सबसे ज्यादा होता है। बालों की लंबाई के आधार पर 200 से 1,000 डॉलर प्रति किलो बाल बिकते हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि आपके बाल बेकार नहीं है। अगली बार जब आप सैलून में बाल कटाने जाएंगे तो आपको इसकी कीमत का एहसास जरूर होगा।

By parshv