नई दिल्ली। मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन अब्दुल गयूम ने कहा है कि नई दिल्ली के साथ माले के रिश्ते बीजिंग से ऊपर हैं। दो माह पहले ही मालदीव के राष्ट्रपति चुने गए अब्दुल्ला यमीन ने साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने भारतीय नेताओं को यकीन दिलाया है कि मालदीव और भारत का रिश्ता भावनात्मक है। इसका नाता दिल से ज्यादा है।

चीन के साथ मालदीव के बढ़ते रिश्तों पर उन्होंने कहा, ‘मैं आपको बताना चाहूंगा कि चीन के साथ हमारा रिश्ता बहुत नजदीकी है, लेकिन भारत के साथ हमारा रिश्ता किसी भी अन्य रिश्ते से कहीं ऊपर है।’ सामरिक महत्व के क्षेत्र खासकर सुरक्षा के मुद्दों पर चीन और मालदीव के बढ़ते रिश्तों से भारत सशंकित है। सुरक्षा एजेंसियां लगातार कहती रही हैं कि समुद्री यातायात प्रबंधन के लिए 1999 में मालदीव द्वारा चीन को अस्थायी रूप से दिए गए ‘माराओ द्वीप’ का इस्तेमाल वह भारतीय महासागर में अमेरिका और भारत के युद्धपोतों पर नजर रखने के लिए भी करता रहा है। एजेंसियों ने आशंका जताई है कि भविष्य में चीन इस द्वीप को पनडुब्बियों के स्थायी अड्डे में तब्दील कर सकता है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ अपनी वार्ता के बारे में बताते हुए यमीन ने कहा, ‘भारत की चिंता का प्रमुख कारण क्षेत्र की सुरक्षा रही है, वह भी खासकर भारतीय महासागर में। हमारी चिंता भी ठीक यही है।’ यमीन ने कहा, ‘दोनों देशों ने सुरक्षा, आतंकवाद व समुद्री डकैतों से बचने के मुद्दों पर चर्चा की है। भारत की चिंता से हम पूरी तरह इत्तेफाक रखते हैं।’ हालांकि यमीन ने यह भी माना कि माले एयरपोर्ट के निर्माण के लिए जीएमआर के साथ करार रद होने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में थोड़ी रुकावट आई थी, लेकिन गाड़ी फिर पटरी पर आ गई है। मालदीव ने 2012 में जीएमआर के साथ 511 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अपने सबसे बड़े विदेशी करार को रद कर दिया था। मालदीव के इस फैसले पर भारत ने सख्त नाराजगी भी जताई थी।

By parshv