मायावती को नहीं चाहिए मुलायम का साथ, ठुकराया प्रस्ताव

0

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना कर चुकी समाजवादी पार्टी अब अपनी कट्टर प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी के साथ हाथ मिलाने को तो तैयार हो गई। लेकिन मायावती ने सपा के साथ आने की बात को सिरे से खारिज कर दिया।

गौरतलब है कि सोमवार को हाजीपुर की सभा में राजद प्रमुख लालू यादव ने देशहित में मुलायम सिंह यादव और मायावती को एक साथ आने की अपील की थी। हाजीपुर सभा में लालू खुद अपने चिर प्रतिद्वंद्वी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ नजर आए थे।

लालू के प्रस्ताव पर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बसपा के साथ आने के मुद्दे पर कहा कि यदि लालू यादव मध्यस्थता करें तो मायावती के साथ हाथ मिलाया जा सकता है। लेकिन उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि मुलायम सिंह यादव सांप्रदायिक ताकतों से घिरे हुए हैं और उनसे हाथ मिलाने का सवाल ही नहीं है।

संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि लालू-मुलायम के लिए सत्ता पहले नंबर हो पर सकता है, मान-सम्मान बाद में। मेरे लिए मान-सम्मान पहले है और सत्ता बाद में। मायावती ने कहा कि बसपा के हित और मान-सम्मान के लिए 25 अगस्त 2003 में भाजपा से गठबंधन तोड़ मुख्यमंत्री पद का त्याग कर दिया था। गेस्टहाउस कांड को याद करते हुए मायावती ने लालू यादव से पूछा कि यदि यह सब कुछ उनकी बहन के साथ होता, तब उनका रवैया यह नहीं होता।

हाजीपुर सभा में लालू ने कहा था कि बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी भाजपा को रोकने के लिए महागठबंधन की जरूरत है। उन्होंने इसके मायावती और मुलायम को एक-साथ आने की अपील की थी।

जिसके बाद सपा ने कहा था कि बिहार में भले ही लालू यादव और नीतिश कुमार को भाजपा के सामने को खुद को बचाने के लिए हाथ मिलाना पड़ा हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में सपा अपने दम पर भाजपा को टक्कर देने की कोशिश कर रही है।

वहीं, बसपा ने भी कहा था कि उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश भर में सपा सरकार की इतनी बदनामी हो गई है। उसके साथ हाथ मिलाने से फायदा कम घाटा ज्यादा है। इस गठबंधन के बाद उसका अपना दलित वोट बैंक कभी वापस नहीं आ पाएगा। बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था कि पार्टी को भले एक भी सीट न मिले, लेकिन पूरे देश में अकेले ही चुनाव लड़कर पार्टी खुद को मजबूत करेगी।