इन पवित्र शक्तिपीठों की महिमा है अपरंपार

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कहते हैं कि जहां-जहां मां सती के अंगों के टुकड़े, धारण किए किए हुए वस्त्र और आभूषण गिरे, वे स्थल शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गए।
 
ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाते हैं। यह तीर्थ पूरे भारतीय उप-महाद्वीप में फैले हुए हैं। इन शक्तिपीठों का धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्व है।
 
नवरात्र में इन शक्तिपीठों का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। इनमें से ही 17 शक्तिपीठों के बारे में आप यहां जान सकते हैं।
 
1. किरीट शक्तिपीठ– किरीट शक्तिपीठ पश्चिमी बंगाल में हुगली नदी के तट पर लालबाग कोट पर स्थित है, जहां माता सती का किरीट यानी मुकुट गिरा था।
 
2. काशी विशालाक्षी शक्तिपीठ– उत्तर प्रदेश के प्राचीन नगर काशी (वाराणसी) में काशी विश्वनाथ मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक है। हिन्दुओं की मान्यता के अनुसार यहां देवी सती के दाहिने कान के कुंडल गिरे थे।
 
3. बहुला शक्तिपीठ– पश्चिम बंगाल के कटवा जंक्शन के निकट वर्धमान में स्थित बहुला शक्तिपीठ में देवी मां की बायीं भुजा गिरी थी।
 
4. हिंगलाज शक्तिपीठ– यह शक्तिपीठ पड़ोसी देश पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में स्थित है। कहा जाता है कि यहां माता सती का ब्रह्मरंध्र गिरा था। यहां देवी सती के अलावा भगवान शिव की भी प्रतिमा है।
 
5. करवीर शक्तिपीठ– इस जगह पर माता सती के नेत्र गिरे थे। यह जगह महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है।
 
6. ज्वालामुखी शक्तिपीठ– हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है ज्वालामुखी मंदिर। पौराणिक कथा के अनुसार यहां देवी मां की जीभ गिरी थी। यहां मंदिर में आग के रूप में हर समय ज्वाला धधकती रहती है।
 
7. युगाद्या शक्तिपीठ– यह शक्तिपीठ बंगाल के दक्षिण-पश्चिम में महाकुमार-मंगलकोट थानांतर्गत क्षीरग्राम में स्थित है। इस शक्तिपीठ को हम क्षीरग्राम के नाम से भी जानते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार यहां माता सती के दाहिने चरण का अंगूठा गिरा था।
 
8. सुगंध शक्तिपीठ– बांग्लादेश के बारीसाल में शिकारपुर ग्राम में सुंगधा नदी के तट पर स्थित उग्रतारा देवी का मंदिर ही शक्तिपीठ माना जाता है। इस स्थान पर सती की नासिका का निपात हुआ था।
 
9. यशोरेश्वरी शक्तिपीठ– बांग्लादेश में खुलना जिले के जैसोर नामक नगर में यशोरेश्वरी शक्तिपीठ है। ऐसा कहा जाता है यहां सती की वाम का निपात हुआ था।
 
10.चट्टल शक्तिपीठ– बांग्लादेश में चटगांव से कुछ ही दूरी पर सीताकुंड स्टेशन के पास चंद्रशेखर पर्वत पर भवानी का मंदिर है जो 51 शक्तिपीठों में से एक है।
 
11.करतोयाघाट शक्तिपीठ– यहां माता सती का वाम तल्प गिरा था। बांग्लादेश में भवानीपुर ग्राम के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर यह शक्तिपीठ स्थित है।
 
12.गुह्येश्वरी शक्तिपीठ– यह शक्तिपीठ नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर् से थोड़ी दूर बागमती नदी की दूसरी ओर है। इसे गुह्येश्वरी शक्तिपीठ् के नाम से जानते हैं। यहां की शक्ति महामाया् और शिव कपाल हैं।
 
13.गण्डकी शक्तिपीठ– नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गमस्थल पर गण्डकी शक्तिपीठ में सती के दक्षिण गण्डच का पतन हुआ था।
 
14. मानस शक्तिपीठ– ऐसा माना जाता है कि यहां माता सती की दाहिनी हथेली गिरी थी। यह शक्तिपीठ तिब्बत में मानसरोवर के तट पर स्थित है।
 
15. कालीघाट काली शक्तिपीठ– पश्चिम बंगाल, कलकत्ता के कालीघाट में काली माता का सुविख्यात मंदिर ही शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। यहां माता सती की शेष अंगुलियां गिरी थीं।
 
16. विराट शक्तिपीठ– यह शक्तिपीठ राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर से उत्तर में महाभारतकालीन विराट नगर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहां के वैराट गांव में माता सती के दायें पांव की अंगुलियां गिरी थीं।
 
17. कात्यायनी पीठ– यह शक्तिपीठ मथुरा-वृन्दावन के बीच भूतेश्वर नामक जगह पर स्थित है। कहा जाता है कि यहां माता सती के केशपाश गिरे थे।