इस्लामाबाद। करीब सात माह बाद शुरू होने जा रही भारत-पाक वार्ता की तैयारियों के सिलसिले में भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर मंगलवार को पाकिस्तान पहुंच रहे हैं। जयशंकर की इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान पाकिस्तान विश्वास बहाली के कई उपाय (सीबीएम) सुझाएगा।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार वार्ता के दौरान पाकिस्तान वर्ष 2003 में किए गए संघर्ष विराम समझौते को फिर से लागू करने का सुझाव दे सकता है, ताकि नियंत्रण रेखा पर हो रही गोलीबारी से उत्पन्न तनाव को कम किया जा सके। आधिकारिक स्तर पर एक-दूसरे के खिलाफ बयान देने से बचने की बात पर भी सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि दोनों देशों के बीच परस्पर विरोधी बयान नहीं देने को लेकर भी समझौता किया जा सकता है। इससे मीडिया के माध्यम से तय होने वाली कूटनीति से बचा सकेगा। दक्षेस यात्रा के तहत थिंपू और ढाका के बाद जयशंकर अब पाकिस्तान जाएंगे। इसी क्रम में वह अफगानिस्तान की यात्रा भी करेंगे।
भारत-पाक का संबंध सामान्य होना जरूरी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज ने भारत-पाक के बीच संबंधों को जल्द से जल्द सामान्य बनाने की जरूरत बताई है। उनके मुताबिक नियंत्रण रेखा पर व्याप्त तनाव को कम करने के लिए यह आवश्यक है। उन्होंने कहा, “भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों के बीच तीन मार्च को होने वाले बैठक से निकलने वाले नतीजों की भविष्यवाणी करना सही नहीं होगा, लेकिन दोनों पक्षों के बीच वार्ता शुरू करने पर फैसले का वक्त शीघ्र ही आने वाला है या बैठक के बाद इसपर निर्णय ले लिया जाएगा।” बकौल अजीज भारत से बातचीत के एजेंडे में कश्मीर समेत अन्य मसले पहले भी शामिल रहे हैं। भारत द्वारा रक्षा बजट में आठ फीसद की बढ़ोत्तरी पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हथियारों की दौड़ में कभी भी शामिल नहीं रहा है।