चैत्र नवरात्रि 21 मार्च से, जानें शुभ मुहूर्त

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चैत्र नवरात्रि इस बार 21 मार्च, शनिवार से शुरू हो रहा है और नवरात्रि का समापन भी शनिवार को यानि 28 मार्च को होगा.

इसी दिन रामनवमी मनायी जाएगी. इसके अलावा विशेष यह भी है कि इस बार षष्ठी तिथि के क्षय होने से आठ दिन का नवरात्रि मनाया जाएगा.

आठ दिनी नवरात्रि के बाबत ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया कि वासंतिक नवरात्रि का प्रारंभ हिन्दू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है.

इसे चैत्रीय नवरात्रि भी कहा जाता है. इस बार शक्ति स्वरूपा का आगमन घोड़े पर हो रहा है तथा उनका गमन मुर्गा पर होगा. अत: देवी भगवती का आना- जाना, तिथि का क्षय होना और शनिवार का मिलना, तीनों शुभ नहीं है.

इससे देश पर विपत्ति, बड़े राजनेताओें का निधन, आतंकवादी घटनाएं, दैवीय आपदा, भूकम्प, आम-जनमानस में व्याकुलता-उग्रता इत्यादि रहेगा.

कलश स्थापना व ध्वजारोहण : नवरात्रि कलश स्थापना व ध्वजरोहण का शुभ मुहूर्त 21 मार्च, शनिवार को सुबह 08:48 बजे से 10:44 बजे तक है. जो इस समय कलश स्थापना नहीं कर पाएंगे वे अभिजीत मुहूर्त में पूर्वाह्न 11:36 बजे से मध्याह्न 12:24 बजे तक कर सकते हैं.

अष्टमी व नवरात्रि व्रत का पारण : चैत्र शुक्ल अष्टमी व्रत का पारण 28 मार्च, शनिवार को नवमी में प्रात: 05:12 बजे के बाद किया जाएगा, जबकि नवरात्रि व्रत का पारण 29 मार्च, रविवार को दशमी में प्रात: 05:55 बजे के बाद किया जाएगा. वहीं, नवरात्रि का हवन इत्यादि 28 मार्च का रात्रि 10 बजे के बाद या 29 मार्च को प्रात: 05:54 से करना चाहिए.

नवरात्रि तिथि व देवी दर्शन :

21 मार्च, प्रतिपदा, अपराह्न 01:04 बजे तक, मुख निर्मालिका देवी दर्शन
22 मार्च, द्वितीया, सुबह 10:55 बजे तक, ज्येष्ठा गौरी दर्शन
23 मार्च, ततृीया, सुबह 08:58 बजे तक, सौभाग्य गौरी दर्शन
24 मार्च, चतुर्थी, प्रात: 07:22 बजे तक, श्रृंगार गौरी दर्शन
25 मार्च को प्रात: 06:07 बजे तक पंचमी रहेगी. इसके पश्चात षष्ठी तिथि लगेगी जो कि 26 मार्च को प्रात: 05:21 बजे तक रहेगी. इसके उपरांत सप्तमी लग जायेगी. उदयातिथि नहीं मिलने से षष्ठी का क्षय है.
26 मार्च, सप्तमी, प्रात: 05:21 के बाद, भवानी गौरी दर्शन, अन्नपूर्णा परिक्रमा
27 मार्च, अष्टमी, प्रात: 05:00 बजे, मंगला गौरी दर्शन, दुर्गा अष्टमी व्रत
28 मार्च, नवमी, दिनभर रहेगी, महालक्ष्मी गौरी दर्शन, रात्रि में हवन
29 मार्च, प्रात: 05:54 के बाद नवरात्रि व्रत का पारण