नई दिल्ली। मोदी सरकार की इतनी सावधानी के बाद भी कोयला ब्लाकों के आवंटन में गड़बड़ी निकल रही है। दूसरे दौर में चल रही नीलामी प्रक्रिया में भी अनियमितता के संकेत मिले हैं। लिहाजा केंद्र ने पांच ब्लॉकों में नीलामी स्थगित कर दी है। पहले दौर में भी तीन ब्लॉकों में नीलामी को रोका गया था। इनमें से कुछ का आवंटन दोबारा रद किए जाने के आसार हैं।
कोयला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कुछ ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया की जांच नए सिरे से की जा रही है। इनकी फिर से नीलाम पर फैसला इस हफ्ते के अंत तक कर लिया जाएगा। इनमें नीलामी प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। किस कंपनी को इसे सौंपा जाना है, इसका भी फैसला हो गया था। लेकिन सरकार को कुछ तकनीकी व अन्य गड़बडिय़ां होने का संदेह हुआ है। इसमें एक ब्लॉक बिड़ला समूह की ङ्क्षहडाल्को को दिया गया था, जबकि अन्य जेपी सीमेंट, जिंदल स्टील, उषा मार्टिन और आरण्या फम्र्स को दिए गए थे।
सूत्रों के मुताबिक सरकार को पांच कोयला ब्लॉकों को लेकर संदेह इसलिए हुआ है कि इनके लिए तय सीमा से महज दो रुपये प्रति टन ज्यादा की बोली लगा कर इन्हें हासिल किया गया है। इसमें झारखंड स्थित तारा माइंस का आवंटन भी शामिल है। इस ब्लॉक को जिंदल पावर ने हासिल किया था। लेकिन अब सरकार पूरी प्रक्रिया की छानबीन के बाद ही इसके आवंटन पर फैसला करेगी। सोमवार देर शाम तक कोयला मंत्रालय के अधिकारी इस बारे में विचार-विमर्श कर रहे थे। पहले दौर में भी जिंदल पावर को आवंटित एक कोयला ब्लॉक (गारे पालमा) को सरकार ने आवंटन के बाद रोक कर रखा हुआ है। झारखंड स्थित लोहारी ब्लॉक के आवंटन को लेकर भी संदेह पैदा हुआ है। इस ब्लॉक के लिए सबसे ज्यादा बोली एक ऐसी कंपनी ने लगाई है, जिसका मुख्य प्रमोटर पूर्व कोयला आवंटन घोटाले के प्रमुख आरोपियों में एक है। इस प्रमोटर के खिलाफ अभी सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है।