रतलाम। बढ़ती गर्मी के साथ अब पानी की कमी का असर दिखने लगा है। बारिश कम होने व भूमिगत जल के लगातार दोहन से जलस्तर तेजी से घटा है। इसके चलते जिले में ढाई हजार हैंडपंप मार्च माह में ही बंद हो गए जबकि जिले का औसत जलस्तर भी गत वर्ष की तुलना में 1.55 मीटर ज्यादा नीचे चला गया।

रतलाम विकासखंड में भूमिगत जल का स्तर सबसे ज्यादा नीचे गिरा है। ऐसे में शहरवासियों को आने वाले समय में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। औसतन मार्च माह में गत वर्ष जहां 7.23 मीटर का जलस्तर था जो कि इस बार 8.78 मीटर है।

बढ़ती गर्मी के साथ शहर व जिले में जलस्तर घटने से जलस्त्रोत सूखने लगे हैं। ग्रामीण अंचलों में जहां दूर दराज क्षेत्रों से पानी लाने के हालात बनने लगे हैं वहीं शहर में परिवहन के माध्यम से हो रहे जलप्रदाय से भी आपूर्ति सामान्य नहीं हो पा रही है।

मालूम हो कि जिले में इस बार बारिश सामान्य से कम हुई है। इस वजह से नगर निगम सहित जावरा नपा, पिपलौदा, सैलाना, नामली, बड़ावदा, ताल, आलोट में पेयजल परिवहन पर 2 करोड़ रुपए की लागत का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। राशि स्वीकृति के साथ परिवहन भी प्रारंभ हो गया है।

शहर के पटरी पार इलाके में टैंकरों से पानी दिया जा रहा है लेकिन पर्याप्त पानी नहीं मिलने से लोग परेशान हैं। मार्च माह की समाप्ति पर जिले में 293 नलजल योजना में से 22 योजनाएं जलस्त्रोत सूखने के कारण बंद हो गई हैं। इसी तरह कुल 10187 हैंडपंप में से 7483 चालू हैं और 2636 बंद पड़े हैं।

बारिश कम होने के कारण

जिले में रतलाम विकासखंड में भूमिगत जलस्तर सबसे नीचे है। बारिश कम होने व लगातार भूमिगत जलदोहन से ये हालात बने हैं। – जयंत मूले, सहायक जलविद जिला भूजल सर्वेक्षण

सुधार करा रहे हैं

हैंंडपंप सुधार योग्य हैं तो तत्काल सुधार किया जा रहा है। जहां जलस्तर घट गया है वहां बारिश होने पर ही हैंडपंप चालू हो पाएंगे। वैकल्पिक इंतजाम पर ध्यान दिया जा रहा है। – संतोष साल्वे, कार्यपालन यंत्री पीएच

By parshv