मुंबई। मार्च तिमाही के दौरान भारत में सोने की मांग बढ़ी है। खासतौर पर गहनों के लिए इस्तेमाल होने वाले सोने की मांग में 22 फीसदी तेजी दर्ज की गई। मार्च तिमाही में सोने की मांग बढ़कर 150.8 टन हो गई।
कैलेंडर वर्ष 2015 के लिए मार्च में खत्म हुई पहली तिमाही के लिए सोने की मांग के बारे में जारी की गई विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश के लिए सोने की मांग 6 फीसदी घटकर 40.9 टन रह गई।
7 फीसदी घटी वैश्विक मांग
इस साल पहली तिमाही में सोने की वैश्विक मांग 7 प्रतिशत घटकर 42 अरब डॉलर रही। डब्ल्यूजीसी के मुताबिक ऐसा मुख्य तौर पर चीन, तुर्की, रूस और पश्चिम एशिया में गिरावट की वजह से हुआ। डब्ल्यूजीसी के मुताबिक साल 2014 की पहली तिमाही में सोने की मांग 45 अरब डॉलर की रही थी। पहली तिमाही में मात्रा के लिहाज से सोने की कुल मांग एक प्रतिशत घटकर 1,079 टन रही जो पिछले साल की समान तिमाही में 1,089.9 टन थी।
निवेश के लिए बढ़ी मांग
वैश्विक स्तर पर सोने की कुल मांग में निवेश के लिए इसकी जरूरत का अहम योगदान होता है। पहली तिमाही में निवेश के लिए सोने की मांग 4 प्रतिशत बढ़कर 279 टन रही, जो 2014 की पहली तिमाही में 268 टन थी। इस साल पहली तिमाही में गहनों के लिए सोने की कुल मांग 3 प्रतिशत घटकर 601 टन रह गई, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 620 टन थी।
शेयर, मुद्रा बाजार का असर
शेयर बाजारों, खास तौर पर भारत और चीन में तेजी व तुर्की और जापान में मुद्रा में उतार-चढ़ाव के कारण सोने की छड़ों और तथा सिक्कों पर दबाव रहा। हालांकि इसकी भरपाई यूरो क्षेत्र, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में खुदरा निवेशकों की मजबूत मांग से हो गई।