वाराणसी । सनातन धर्म में सावन पूर्णिमा पर भाई बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षा बंधन मनाया जाता है। सनातनियों के चार प्रमुख त्योहारों में एक यह पर्व इस बार 29 अगस्त को पड़ रहा है। पूर्णिमा तिथि 29 की भोर 2.28 बजे लग रही है जो 30 की रात 12.39 तक रहेगी। इसमें 29 को दिन में 1.44 तक भद्रा होने से बहनें भाइयों की कलाई पर इस अवधि के बाद ही राखियां सजा पाएंगी।

कि हर साल सावन पूर्णिमा तिथि पर भद्रा होता है। शास्त्रीय विधान के अनुसार इसके बाद ही राखी बांधी जाती है। बहन अपनी रक्षा कामना से भाई के सिर पर तिलक लगाने व मिष्ठान खिलाने के बाद रक्षा सूत्र बांधती है। लोकाचार में ब्राrाण अपने यजमानों को भी रक्षा सूत्र बांधते हैं।

अनुष्ठानों की श्रृंखला – वास्तव में श्रवण पूर्णिमा पर काशी में अनुष्ठानों की पूरी एक श्रृंखला है। इस दिन गंगा स्नान, दान व व्रत का महत्व है। इस दिन श्रवणी उपाकर्म किया जाता है। परंपरानुसार नदी तट पर गुरु अपने शिष्यों संग उपाकर्म विधान करते हैं। इसमें विधि विधान से सस्वर मंत्रोच्चार द्वारा इसे संपादित कर विधिवत ऋषियों का पूजन व यज्ञोपवीत आदि किया जाता है। पूजनोपरांत यज्ञोपवीत वर्षर्पयत के लिए धारण किया जाता है। इसके अलावा अमरनाथ यात्र व दर्शन का भी विधान है। यह मंदिर भदैनी में है। सायंकाल हैग्रीव उत्पत्ति दर्शन किया जाता है। माना जाता है इससे सभी तरह के पापों से मुक्ति तथा अमोघ लाभ होता है।

रक्षा सूत्र की पौराणिक परंपरा: भविष्य पुराण के अनुसार एक बार देवराज इंद्र दैत्यों से हार गए। ब्रrा-विष्णु -महेश समेत देवों से सहायता याचना के बाद भी सफलता नहीं मिली। इसके बाद देवगुरु बृहस्पति को अपनी पीड़ा बताई। उसी समय इंद्राणी शकी ने विजय के ध्येय से पूर्णिमा पर रक्षा विधान करने का संकल्प जताया।

 

By parshv