रतलाम।निजी कॉलेज इन दिनों पढ़ाने के साथ-साथ सरकारी पैसों से जेब भराई के काम में भी लग गए हैं। छात्रवृत्ति के नाम पर विद्यार्थियों के फर्जी नामों को अपनी कॉलेजों में दर्शा कर सरकारी पैसों की पोटली लूटने में लगे हैं। रतलाम में भी प्रदेश के बडे शहरों की तर्ज पर छात्रवृत्ति घोटाला हुआ है। यहां कॉलेज के तीन विद्यार्थियों के नाम से रतलाम में छात्रवृत्ति निकाली है।

रतलाम के इन विद्यार्थियों के नाम से ग्वालियर में उठाई छात्रवृत्ति के पीछे किसका हाथ है, उसकी जांच शुरू हो गई है। साथ ही चार अन्य के नाम से ग्वालियर में भी आवेदन होने की जानकारी सत्यापन के दौरान पोर्टल पर सामने आई है। इन मामलों में राशि खाते में डलने से पहले रोक दी गई। घोटाले की जड़े तलाशने के लिए अब आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) की टीम भी जुट गई है।

शासकीय कला व विज्ञान कॉलेज प्रबंधन ने इस संबंध में आदिवासी विकास विभाग को जानकारी देने के साथ कलेक्टर को भी अवगत कराया है। बाद में यहां से एक पत्र मामले की जांच के लिए ग्वालियर कलेक्टर कार्यालय भी पहुंचा, लेकिन जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है।

ईओडब्ल्यू जुटी जांच में

रतलाम में जिनके नाम से फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति निकली है, जांच ईओडब्ल्यू भी कर रही है। यहां छात्रवृत्ति के लिए वष्ाü 2014-15 के लिए नवम्बर-दिसंबर में आवेदन किया था। इसके बाद फरवरी-मार्च तक राशि उनके खातों में जमा होना थी, जो नहीं हुई और ग्वालियर में निकाल ली गई। ऎसे में तीनों विद्यार्थी इससे वंचित रह गए।

पत्र लिखा, अब तक नहीं आई कोई जानकारी

हमारे यहां के तीनों छात्रों के नाम से ग्वालियर में राशि निकालने के लिए आवेदन हुए थे। उसकी जांच के लिए उपायुक्त आदिवासी विकास विभाग को पत्र लिखा था, जहां से अब तक कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है।डॉ. संजय वाते, तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य, शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम

हो रहे है नामों के खुलासे

रतलाम में जिन तीन छात्रों के नाम से राशि निकली है, उनमें कुलदीप लोहिया, अबू भाभर और दिनेश राठौर हैं। फिलहाल कुलदीप और अबू शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय के छात्र हैं। वहीं बबूल परमार व तीन अन्य विद्यार्थी निजी श्ौक्षणिक संस्था के हैं, जिनके नाम से राशि निकालने के लिए डुप्लीकेट आवेदन लगाए गए थे, जो पकड़ में आ गए है। कुलदीप, अबू व दिनेश के नाम से दो बार राशि निकलने की सूचना पर जांच हुई।

इसमें तीनों को बुलाकर इनसे पूछताछ भी की गई। बाद में इनके खातों में जमा राशि आदिवासी विकास विभाग ने वसूली। विभाग ने जब उन्हें बुलाकर पूछताछ की, तो उन्होंने कभी ग्वालियर में प्रवेश नहीं लेने की बात कबूली।

सौरभ पाठक

 

By parshv