रतलाम। पेटलावद में खाद-बीज की दुकान में जबरदस्त विस्फोट में 89 लोगों की जान जाने के बाद पुलिस ने आरोपी दुकानदार की गिरफ्तारी के लिए तलाश शुरू कर दी है। दुकान मालिक राजेंद्र कांसवा पत्नी सहित फरार है। झाबुआ से पुलिस की छह टीमों ने रतलाम आकर शनिवार देर रात तक कांसवा के रिश्तेदारों के यहां दबिश दी। झाबुआ पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में भी लिया है। गुजरात के पंजीयन नंबरों वाली दो कार में पुलिस दल रतलाम में रविवार को दबिश देता दिखा, जिनके साथ महिला पुलिस भी थी।

झाबुआ से आए पुलिस दल में टीआई आरसी भास्कर व तीन एसआई तथा कांस्टेबल की टीम ने श्रीमालीवास में चंपा सदन में देर रात दबिश देकर वहां से राजेंद्र कांसवा के रिश्तेदार विनोद कोठारी को हिरासत में लिया। वहीं चांदनी चौक में दबिश देकर कांसवा हार्डवेयर की दुकान के मालिक इंदरमल कांसवा और उनके पुत्र वीरेंद्र कांसवा को पुलिस ने हिरासत में लिया है। पुलिस ने रतलाम के आधा दर्जन इलाकों में राजेंद्र कांसवा की तलाशी में उनके रिश्तेदारों के यहां दबिश दी है। जिला पुलिस को इसके बारे में कुछ पता नहीं है। पुलिस मुख्यालय के आदेश पर कार्य हो रहा है।राजेंद्र कांसवा की कॉल डिटेल के बाद बातचीत के आधार पर पुलिस की दबिश वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन पर इलाकों में दी जा रही हैं।

झाबुआ पुलिस की नहीं है सूचना

झाबुआ जिले पुलिस की रतलाम में दबिश की सूचना नहीं है। मीडिया से उन्हें पता चला है। थाने पर भी बातचीत की गई। वहां भी कोई सूचना नहीं है। अगर हमे भी कोई आदेश आरोपी की गिरफ्तारी के मिलते है तो जिला पुलिस भी कार्रवाई करेगी। डॉ. प्रशांत चौबे, एएसपी रतलाम.

रतलाम से संबंध

पेटलावद विस्फोट के बाद सरकार ने कांसवा की सूचना देने पर ईनाम भी घोषित कर दिया है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद पुलिस अचानक सक्रिय हुई और रतलाम के साथ ही पेटलावद से लगे क्षेत्रों में उसकी सर्चिग शुरू की गई है। कांसवा की रतलाम में रिश्तेदारी है और अक्सर उसका आना-जाना यहां लगा रहता है। इसको आधार बनाकर ही विशेष पुलिस दल ने लगातार दबिश देकर उसकी तलाश की। हालांकि पुलिस को कामयाबी नहीं मिली, लेकिन खुफिया एजेंसियां भी अब कांसवा की तलाश में जुट गई है।

 2010 और 12 के बाद से नहीं की कार्रवाई

जिले में डेटोनेटर एवं जिलेटिन का कुएं व खदानों में लगातार उपयोग हो रहा है। उसके बाद भी पुलिस पिछले तीन सालों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकी है। खासकर खनन, कुआं गहरीकरण के अलावा स्लेट, पैंसिल एवं गिट्टी खदानों में विस्फोट के लिए इसका उपयोग किया जा रहा हैं। पेटलावाद में घटना के बाद जिला पुलिस ने तत्परता जरूर दिखाई, लेकिन लाइसेंसी पटाखा दुकानों पर ही सर्चिग कर कार्रवाई पर ब्रेक लगा दिया।

पेटलावद घटना के बाद एसपी साहब के आदेश पर शहर पुलिस सर्चिग शुरू की है। जिसमें रतलाम के तीन बड़े पटाखा लाइसेंसी व्यवसायियों के यहां तलाशी ली गई। दूसरे दिन भी पुलिस की कार्रवाई इन पटाखा व्यवसायियों के इर्द-गिर्द हुई। पुलिस ने किसी भी खाद-बीज की दुकान वाले की तलाशी नहीं ली। शहर में दर्जनभर दुकानें हैं। जानकारी के अनुसार जिले में अवैध रूप से झाबुआ व राजस्थान के प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, झालावाड़, कोटा और चित्तौड़गढ़ से विस्फोटक पदार्थ आता है, जिनका उपयोग खदानों में खनन के लिए ट्रेक्टर एवं ट्रक चलित बोरिंग के लिए किया जाता है।

भू- जलस्तर नीचे जाने के कारण कुंआ गहरीकरण के लिए डेटोनेटर का अतिरिक्त इस्तेमाल किया जा रहा है। दलालों के माध्यम से या सीधे ठेकेदारों को ठेका देते हैं। अधिकांश जगह गांव या बस्ती के निकट लोग बेहिचक इन विस्फोटकों का उपयोग करते हैं। इसके लिए कोई सावधानी नहीं बरती जाती है। पूर्व में बंजली गांव के लोगों ने भी पुलिस अधीक्षक को अवैध रूप से लगातार विस्फोट करने की शिकायत दी थी।

दो साल से कार्रवाई नहीं

2010 और 12 में जिलेटिन व डेटोनेटर पुलिस ने पकड़ा था। उसके बाद से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह अलग है कि पटाखे की दुकान पर अवैघ रूप से संग्रहण पर कार्रवाई की गई है।

– डॉ. प्रशांत चौबे, एएसपी रतलाम

एक भी लाइसेंस नहीं

रतलाम विकासखंड में किसी भी दुकान के लिए डेटोनेटर या जिलेटिन रखने के लिए लाइसेंस जारी नहीं है। जिले में डेटोनेर या जिलेटिन का उपयोग कितना वैध और कितना अवैध है, इसकी जांच की जा रही है।

– सुनील झा, एसडीएम रतलाम

 

By parshv