रोजगार के आंकड़ों पर भ्रम और विकास के लिए जरूरी एक विश्वसनीय आंकड़ा योजनाकारों के सामने प्रस्तुत करने को सरकार ने सालाना एक व्यापक रोजगार रिपोर्ट जारी करने का फैसला किया है। यह रिपोर्ट सरकार की तरफ से रोजगार में वृद्धि को लेकर एक प्रामाणिक दस्तावेज होगा। हर साल यह रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय को सौैंपी गई है।
रोजगार के आंकड़ों को लेकर अभी भ्रम की स्थिति रहती है। अलग-अलग मंत्रालयों की तरफ से आने वाले ये आंकड़े देश में रोजगार सृजन की एक विश्वसनीय तस्वीर पेश नहीं करते। लिहाजा, अक्सर इन आंकड़ों को लेकर विवाद की स्थिति बनी रहती है। मोदी सरकार इस स्थिति को दूर कर एक भरोसेमंद आंकड़ा प्रस्तुत करना चाहती है। चूंकि सांख्यिकी मंत्रालय सरकार के समस्त आंकड़ों का कस्टोडियन माना जाता है, इसलिए इसे यह रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। पूरे देश के आंकड़ों को समेटती यह रिपोर्ट सालाना आधार पर तैयार होगी, जबकि शहरी इलाकों में रोजगार की स्थिति पर प्रत्येक तिमाही आंकड़े जारी करने की योजना है।सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में रोजगार वृद्धि के सालाना अनुमान शामिल किए जाएंगे, ताकि योजनाकारों को विकास के लिए योजना व स्कीम तैयार करने में मदद मिल सके। अभी तक इस तरह का आंकड़ा सांख्यिकी विभाग के औद्योगिक सर्वे, श्रम मंत्रलय के सालाना रोजगार व बेरोजगारी आंकड़ों और नेशनल सैंपल सर्वे से मिलता है।
सरकार के कई मंत्रालय भी मानते हैं कि अभी तक देश में केंद्र और राज्यों के स्तर पर संगठित और असंगठित श्रमिकों का कोई प्रामाणिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। श्रम मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी कह चुके हैं कि श्रमिक हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं और इन्हें ध्यान में रखकर ही योजनाएं बननी चाहिए। इन दिक्कतों को देखते हुए ही सरकार ने अब केंद्रीय स्तर पर सालाना रिपोर्ट जारी करने का मन बनाया है।
नई रिपोर्ट का विचार उस वक्त आया है जब सरकार विकास की रफ्तार में पूरे देश को जोड़ने पर जोर दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में दिए अपने भाषण में कौशल विकास की जरूरत पर बल दिया था। देश की 65 फीसद आबादी की आयु 35 वर्ष से कम है। अधिकारियों का मानना है कि इस लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब पूरे देश में रोजगार के प्रामाणिक आंकड़े उपलब्ध हों। प्रस्तावित रिपोर्ट सरकार के विभिन्न मंत्रलयों को विकास की योजना बनाने में मदद करेगी।
रोजगार और बेरोजगारी पर श्रम मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 48.5 फीसद है। ग्रामीण इलाकों में यह अनुपात 50.5 फीसद और शहरी इलाकों में यह 43.5 फीसद है। महिलाओं में श्रमिक जनसंख्या अनुपात पूरे देश में 20.9 फीसद है।