बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक जुलाई से लागू करने में जुटी सरकार ने कारोबारियों को दोतरफा राहत दी है। जीएसटी काउंसिल ने शुरुआती दो महीनों- जुलाई और अगस्त में कारोबारियों के लिए रिटर्न दाखिल करने संबंधी नियमों में ढिलाई देने का फैसला किया है। साथ ही माल को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए प्रस्तावित ई-वे बिल की व्यवस्था पर अभी और विचार-विमर्श किया जाएगा। इसे फिलहाल लागू नहीं किया जाएगा। काउंसिल की केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में रविवार को हुई 17वीं बैठक में होटलों को राहत देने का भी निर्णय किया गया है। हालांकि, जेटली ने उद्योग व व्यापार जगत की जीएसटी पर अमल टालने की मांग से इन्कार कर दिया।

 राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने बताया कि जीएसटी का क्रियान्वयन सुचारु ढंग से करने तथा इसके लिए रिटर्न दाखिल करने के संबंध में व्यापार व उद्योग जगत की चिंताओं के मद्देनजर पहले दो महीनों में रिटर्न दाखिल करने के नियमों में ढील देने का फैसला किया गया है। पहले दो महीने कारोबारियों को टैक्स का भुगतान एक सामान्य रिटर्न फॉर्म (जीएसटीआर-3बी) के आधार पर करना होगा।

 जीएसटीआर-बी में कारोबारियों को खरीद-बिक्री का ब्योरा देना होगा। इसे अगले महीने की 20 तारीख से पहले दाखिल करना होगा। इसका मतलब यह है कि जुलाई में की गई खरीद-फरोख्त के लिए जीएसटीआर-3बी 20 अगस्त को तथा अगस्त के लिए 20 सितंबर को दाखिल करना होगा। हालांकि कारोबारियों को जुलाई, 2017 का जीएसटीआर-1 एक से पांच सितंबर तक तथा अगस्त के लिए 16 से 20 सितंबर तक दाखिल करना होगा। जीएसटीआर-1 में कारोबारियों को अपनी बिक्री का ब्योरा देना होगा। मौजूदा प्रावधान के मुताबिक कारोबारियों को जुलाई में हुई बिक्री का ब्योरा 10 अगस्त तथा अगस्त की बिक्री का 10 सितंबर तक जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) पर उपलब्ध कराना होता। वैसे, कारोबारियों को बिक्री का ब्योरा देने की यह व्यवस्था 15 जुलाई से ही उपलब्ध हो जाएगी।

 इसी तरह जीएसटीआर-2 जिसमें कि जीएसटीआर-1 से ली गई डिटेल होगी, वह भी जुलाई महीने के लिए 6 से 10 सितंबर तक दाखिल किया जा सकेगा। अगस्त के लिए वे 21 से 25 सितंबर तक यह रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। खास बात यह है कि इस अंतरिम अवधि के दौरान कारोबारियों पर कोई लेट फीस या पेनाल्टी नहीं लगाई जाएगी। सरकार का कहना है कि कारोबारियों को नई टैक्स व्यवस्था से तालमेल बिठाने के लिए यह सुविधा दी जा रही है। जीएसटी काउंसिल ने यह राहत ऐसे समय दी है, जब उद्योग जगत ने तैयारियां अधूरी रहने की वजह बताते हुए जीएसटी के क्रियान्वयन की प्रस्तावित तारीख एक जुलाई को आगे बढ़ाने की मांग की है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि सरकार इस ऐतिहासिक सुधार के लिए करदाताओं को तैयार करने का अवसर देने को प्रतिबद्ध है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह सुविधा सिर्फ दो महीने के लिए है। इसके बाद रिटर्न संबंधी नियमों का कड़ाई से पालन किया जाएगा।
होटलों को मिली बड़ी राहत
काउंसिल ने एसी होटलों को बड़ी राहत देते हुए कमरे के किराये पर लगने वाले 28 प्रतिशत जीएसटी के लिए प्रस्तावित सीमा 5,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये कर दी है। इसका मतलब यह है कि अब साढ़े सात हजार से कम तथा 2,500 रुपये से अधिक किराये वाले कमरे पर मात्र 18 प्रतिशत जीएसटी ही लगेगा।
ई-वे बिल पर अभी होगा और विचार
वित्त मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वे बिल पर अभी और विचार किया जाएगा। इस पर अभी काउंसिल में आम राय नहीं बनी है। बहरहाल अब तक ई-वे बिल लागू नहीं होता है, तब तक वैकल्पिक व्यवस्था चलेगी। ई-वे बिल नियमों के तहत अगर कोई व्यक्ति 50,000 रुपये से अधिक का सामान ढुलाई कर कहीं ले जाता है तो उसे जीएसटीएन से ई-वे बिल लेना होगा।
समय पर चल रही आइटी तैयारियां
जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू करने के लिए जरूरी सूचना तकनीकी तंत्र तैयार करने को तैयारियां सही चल रही हैं। फिलहाल देश में विभिन्न परोक्ष करों के कुल 80.91 लाख असेसी हैं। इनमें से अब तक 65.6 लाख असेसी जीएसटी के लिए पंजीकरण करा चुके हैं। इस तरह 81.1 प्रतिशत मौजूदा असेसी का माइग्रेशन जीएसटी के लिए हो चुका है। 25 जून से पंजीकरण दोबारा शुरू हो रहा है। इसलिए लोगों के पास रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पर्याप्त समय है।