संकट में घिरे यस बैंक के ग्राहकों के लिए राहत की बात दिखने वाले घटना क्रम में इसके प्रशासक बनाए गए प्रशांत कुमार ने सोमवार को कहा कि बैंक के कामकाज पर लगी रोक इस शनिवार तक हटाई जा सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने यस बैंक के संकट को देखते हुए निदेशक मंडल को दरकिनार कर कुमार को उसका प्रशासक नियुक्त किया है और बैंक से धन निकासी पर सीमा सहित कई पाबंदियां लगा दी हैं।
कुमार ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाली पुनर्गठन योजना पर रिजर्व बैंक की अंतिम मंजूरी के बाद यस बैंक के काम कामकाज पर रोक हटा ली जाएगी। उन्होंने यस बैंक के एसबीआई में विलय की बात को खारिज करते हुए कहा कि यस बैंक के विलय से एसबीआई पर ‘नकारात्मक प्रभाव’ पड़ सकता है लेकिन कुछ मदद के बाद इसे एक स्वतंत्र इकाई के तौर पर चलाना जारी रखा जाएगा।
कुमार ने कहा कि यस बैंक में पूंजी डालने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से कभी नहीं कहा गया और यह वर्तमान योजना का हिस्सा भी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि हम कोई ऐसी व्यवस्था कर लेंगे जिससे इस सप्ताहांत तक बैंक पर लगी रोक हटा ली जाएगी।” उन्होंने स्पष्ट किया कि कामकाज पर पाबंदी हटाना और पूंजी जुटाने की योजना दोनों अलग अलग विषय हैं। कुमार एसबीआई के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि बैंक पूंजी की तलाश जारी रखेगा और उन्होंने इसे जमाकर्ताओं के विश्वास को बहाल करने के साथ ही अपनी शीर्ष प्राथमिकता बताया।
बैंक में 2.09 लाख करोड़ रुपए से अधिक की जमाएं हैं और पूंजी जुटाने में नाकामयाब रहने के चलते रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को उसके कामकाज पर रोक लगा दी थी। साथ ही बैंक के खाताधारकों के महीने में 50,000 रुपए से अधिक निकासी पर रोक लगा दी थी। कुछ खबरों में बैंक को 20,000 करोड़र रुपए पूंजी की जरूरत जताए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि बैंक को कितनी पूंजी की जरूरत है, इस बारे में वह कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं दे सकते लेकिन अधिकतर जरूरत की पूंजी को पहले दौर में ही जुटा लिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘अभी हमें उम्मीद है कि हम हमारी पूंजी की अधिकांश जरूरत शुरुआत में ही पूरी हो जाएगी। यह हो भी सकता है और नहीं भी। स्पष्ट तौर पर हमारी योजना पूरी पूंजी जरूरत को 31 मई 2020 को बैंक के सालाना परिणामों की घोषणा से पहले पूरा करने की है।”