सस्ता है और अच्छा है। यह भूल जाइए। ऑनलाइन सस्ता खरीदने की चाहत ऐसी आदत में बदल रही है, जो बहुत महंगी पड़ने लगी है। घर की जरूरत से ज्यादा लोग खरीद करने लगे हैं। यह मनोरोगी होने लगे हैं। दिन-रात कुछ भी हो खरीद को सामान की तलाश में लग जाते हैं। एक महिला ने थोड़े से समय पति के लिए बीस जोड़ी से ज्यादा जूते खरीद डाले। अलमारी में दर्जनों साड़ियां ठूंस-ठूंस कर भरी हुई हैं। हर तीसरे-चौथे दिन बैड पर नई चादर बिछी दिखाई देती है। पति ने समझाने की कोशिश की तो वह चोरी-छुपे शॉपिंग करने लगी।

देश के जाने-माने मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में इन दिनों ऐसे मरीजों के केस तेजी स बढ़ रहे हैं, जो ऑनलाइन खरीदारी से ज्यादा खरीद की बीमारी का शिकार हो चुके हैं। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर का कहना है कि यह बीमारी कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर है। इसमें मरीज आवेग में आकर खरीद करते हैं। वह स्वयं को तब तक नियंत्रित नहीं कर पाते, जब तक कुछ खरीद नहीं लें। खरीदारी करने के बाद बेचैनी कम हो जाती है।

रिश्तों में आई दरार : संस्थान के डॉक्टरों के पास कुछ केस तो ऐसे पहुंचे, जिसमें अत्यधिक खरीदारी के कारण पति-पत्नी के रिश्तों में दरार आ गई। अमिता और राघवेंद्र (बदले नाम) दोनों कमाते हैं लेकिन फिर भी बचत नहीं हुई। पति का कहना है कि ऑनलाइन शॉपिंग से अमिता की बीमारी हुई है। वह हर माह हजारों रुपये की खरीद करती हैं। भविष्य के लिए पैसा नहीं बचाती है।

पति ने खुलवाया नया बैंक अकाउंट : मनोचिकित्सक डॉ. जेआर कालरा बताते हैं कि शहर की एक संभ्रांत महिला बहुत ज्यादा खरीद करने लगीं तो उसके पति ने अलग से उसका नया बैंक अकाउंट खुलवा दिया। पति का कहना था कि जब भी वह ऑफिस से घर लौटता तो कोई न कोई पैकेट घर में रखा मिलता। पति ने इसका विरोध कर तीन-चार माह पत्नी को बहुत समझाया, लेकिन असर न नहीं हुआ।

बीमारी जाहिर नहीं होने देते : कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर के मरीज अपनी बीमारी छिपाने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। लोगों की नजर में न आएं, इसके लिए वे छुप-छुप कर शॉपिंग करते हैं। खरीदारी के लिए पैसा कहां से आएगा, उन्हें इसकी चिंता नहीं रहती। बिहेवियर साइंटिस्ट डॉ. एन गुप्ता का मानना है कि मोबाइल और ऑनलाइन शॉपिंग के ट्रेंड ने बीमारी को बढ़ावा दिया है। कई लोग तो तनाव कम करने के लिए खरीदारी करते हैं। महानगरों में यह ट्रेंड बहुत बढ़ गया है।

By parshv