कुछ विपक्षी पार्टियां फाइनैंस बिल को राज्यसभा में पेश किए जाने पर इसमें संशोधन का प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में हैं। फाइनैंस बिल बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इन संशोधनों में आला अफसरों की मंजूरी के बिना सर्च और सर्वे के लिए इनकम टैक्स अधिकारियों को मिले ‘एकमुश्त अधिकार’ का मामला भी शामिल हैं। दूसरे संशोधन का मकसद उन कंपनियों के नामों का खुलासा जरूरी करना है जो राजनीतिक पार्टियों को चंदा देते हैं।
पहले संशोधन के लिए नोटिस कांग्रेस के सांसद दिग्विजय सिंह ने दिया है। कई अर्थशास्त्रियों और इंडस्ट्री के एक तबके ने उस प्रस्ताव के गलत इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई थी, जिसमें इनकम टैक्स अधिकारियों को मनमाना अधिकार दिए गए हैं। संशोधन में कंपनियों द्वारा राजनीतिक फंडिंग को लेकर भी पादर्शिता की मांग की गई है।
इस संबंध में सीपीएम सांसद सीताराम येचुरी की तरफ से संशोधन प्रस्ताव पेश किया गया है। इसमें ऐसे प्रावधान सुनिश्चित करने की मांग की गई है, ताकि कोई भी कंपनी फर्जी सब्सिडियरी कंपनी या इकाई बनाकर राजनीतिक फंडिंग नहीं करे। उनकी दलील है कि इस तरह का प्रावधान नहीं रहने पर कुछ कंपनियां इनकम टैक्स का बेजा फायदा उठाने के लिए बही-खाते में फर्जीवाड़ा करेंगी या फर्जी कंपनियों के जरिये फंड देंगी।
अगर मुख्य विपक्षी पार्टियां खासतौर पर तृणमूल कांग्रेस या एआईडीएमके कांग्रेस/लेफ्ट के संशोधनों का समर्थन करती हैं, तो विपक्ष के पास राज्यसभा में संशोधनों को पास करने के मामले में संख्या बल होगा। राज्यसभा में सत्ताधारी पार्टी अल्पमत में है। या तो यह दिखाकर कि विपक्ष के पास संशोधनों को पास कराने के लिए संख्या बल है, वह सदन के पटल पर सरकार से यह आश्वासन हासिल कर सकता है कि उसकी चिंताओं को खयाल रखा जाएगा।
चूंकि यह मनी बिल का मामला है, लिहाजा सरकार को मजबूर करने के लिए विपक्ष के पास सीमित विकल्प हैं। अगर विपक्ष के सभी संशोधन पास कर दिए जाते हैं और फाइनैंस बिल को फिर से लोकसभा में भेजा जाता है, तो सरकार के पास इन संशोधनों को खारिज करने के लिए लोकसभा में अपने संख्या बल का विकल्प होगा। ऐसी स्थिति में राज्यसभा के पास कोई विकल्प नहीं होगा। हालांकि, अगर विपक्ष कुछ संशोधनों के लिए दबाव बनाता है और ये पास हो जाते हैं, तो लोकसभा की तरफ से इन्हें खारिज किए जाने से पहले सरकार के पास अपने कदम को नए सिरे से पेश करने की राजनीतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी होगी।