नई दिल्ली।। कैबिनेट के सीनियर मिनिस्टर्स ने देश की इंडस्ट्री के जाने-माने नाम के एम बिड़ला और पूर्व कोल सेक्रेटरी पी सी पारख के किलाफ सीबीआई की ओर से दायर किए गए आपराधिक षड़यंत्र और भ्रष्टाचार के मामले को लेकर कड़ा ऐतराज जताया है।

ऐसी आशंका है कि इस तरह के फैसलों से इनवेस्टमेंट के माहौल और सरकार में फैसले लेने पर असर पड़ सकता है, जैसा टेलिकॉम सेक्टर में हुआ था। इंडस्ट्री एंड कॉमर्स मिनिस्टर आनंद शर्मा ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा, ‘आप हर मिनिस्टर या ब्यूरोक्रेट पर भ्रष्टाचार का लेबल लगाकर अविश्वास और सनसनी का माहौल नहीं बना सकते। मुझे समझ नहीं आता कि आप कैसे जाने-माने उद्योगपति के एम बिड़ला के खिलाफ मामला बना सकते हैं, जिनकी पूरी दुनिया में इज्जत है।’

एवीबी बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन के एम बिड़ला के खिलाफ एफआईआर से राजधानी में सत्ता के गलियारों में सनसनी फैल गई है और कई मिनिस्टर्स इसका इकनॉमी पर असर पड़ने की आशंका जता रहे हैं। एवीबी बिड़ला ग्रुप की लगभग 40 देशों में मौजूदगी है। कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्टर सचिन पायलट ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी कार्रवाइयां वास्तविक तथ्यों पर आधारित हों और डर, अनिश्चितता का माहौल न पैदा हो। उनका कहना था, ‘हाल की घटनाओं से देश और विदेश दोनों में बिजनेस कॉन्फिडेंस और इनवेस्टमेंट सेंटीमेंट पर असर पड़ेगा।

सीबीआई ने कोल ब्लॉक एलोकेशन में गड़बड़ियों का आरोप लगाने वाली सीएजी की रिपोर्ट आने के बाद जून 2012 में जांच शुरू की थी। सीबीआई जांच में सरकार के हस्तक्षेप पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी प्रतिक्रया में सीबीआई प्रमुख को ‘पिंजरे में बंद तोता’ बताया था। सीबीआई के टॉप बॉस रंजीत सिन्हा ने कहा, ‘हमारी किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। कृपया यह न सोचें कि हम इतने बेवकूफ हैं कि बिना मजबूत दस्तावेजी सबूत के के एम बिड़ला के खिलाफ कोई मामला दर्ज करेंगे। सीबीआई प्रोफेशनल एजेंसी है और हमारा कदम सबूत पर आधारित है।’

सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक पत्र का जिक्र किया, जो के एम बिड़ला ने प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा था। एक अधिकारी ने कहा, ‘यह पत्र कोल मिनिस्ट्री को फॉरवर्ड किया गया। इसके बाद बिड़ला और पी सी पारख के बीच मुलाकातें हुईं और इसके नतीजे में 25वीं स्क्रीनिंग कमेटी के फैसले को पलट दिया गया।’

ऐसे आरोपों का सामना कर रहे एक अन्य कैबिनेट मिनिस्टर ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘पहले यह टेलीकॉम सेक्टर में हुआ, इसके बाद सेक्टर में और अब यह कोल सेक्टर के लिए खतरा बन रहा है।’ कोल ब्लॉक के एलोकेशन में कथित तौर पर गड़बड़ियों की जांच ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी सवाल उठा दिए हैं, क्योंकि उस समय उनके पास ही कोल पोर्टफोलियो था।

By parshv