अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में वीजा नियम कड़ा होने से विदेशों में जॉब करने की इच्छा रखनेवाले भारतीय आईटी प्रफेशनलों के लिए थोड़ी मायूसी का माहौल है। लेकिन, कुछ हायरिंग कंस्लटंट्स की मानें तो मीडियम टर्म में कुछ नए बाजार भारत के टेक प्रफेशनल्स को आकर्षित करेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय आईटी प्रफेशनल्स यूरोप, मध्य पूर्व और जापान में हाथोंहाथ लिए जाएंगे। इनका कहना है कि संरक्षणवादी नीति अपनानेवाले देशों को स्किल्ड वर्करों की जरूरत आगे भी पड़ेगी, हालांकि लैटिन अमेरिका, कनाडा, अफ्रीका और नॉर्डिक नेशंज (डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और स्वीडन) भविष्य में आईटी हब के रूप में उभर सकते हैं।

टीमलीज सर्विसेज की एग्जिक्युटिव वाइस प्रेजिडेंट रितुपर्णा चक्रबर्ती ने कहा, ‘हालांकि, संरक्षणवाद की शुरुआत तो हो गई है, लेकिन तात्कालिक मांग को पूरा करने के लिए इन देशों के पास अपने कुशल कर्मचारी नहीं है। साथ ही, कनाडा, लातिनी अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और कुछ और अफ्रीकी देशों में भविष्य का बाजार बनने की पूरी क्षमता है।’

एक्सपेरिस आईटीमैनपावरग्रुपइंडिया के प्रेजिडेंट मनमीत सिंह ने कहा, ‘हम कुछ आईटी इंजिनियरों को यूरोप, पूर्वी अफ्रीका और केन्या जैसे देशों का रुख करते देख रहे हैं, लेकिन इनके लिए अमेरिका अब भी सबसे महत्वपूर्ण मार्केट है। हम जापान जाने के लिए भारतीयों को कौशल प्रदान करने की एक परियोजना पर भी काम कर रहे हैं क्योंकि कई लोग यहां पूछताछ करने के लिए आ रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रशासन के नए कार्यकारी आदेश के बाद H-1B कोटा घट तो गया है, लेकिन इससे महज 10 से 12 प्रतिशत कोटा ही प्रभावित होगा ना कि इसमें भारी कटौती हो जाएगी। हेड हंटर्स इंडिया के एमडी कृस लक्ष्मीकांत का कहना है, ‘कनाडा में भारतीय आईटी इंजिनयरों की जबर्दस्त ग्रोथ होगी क्योंकि वहां भाषा की भी कोई समस्या नहीं होगी।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका में भी स्किल्ड आईटी प्रफेशनलों को दूसरों पर बढ़त मिलेगी।

अमेरिका में STEM (विज्ञान, तकनीक, इंजिनियरिंग और गणित) के विद्यार्थियों की पर्याप्त तादाद नहीं है और इसके लिए वहां कम-से-कम 5 से 10 साल लगेंगे। लक्ष्मीकांत की मुताबिक, सिंगापुर, जापान और मिडल ईस्ट में भी भारतीय आईटी इंजनियरों को मौके मिलेगें, लेकिन थोड़ा कम। एक अन्य रिक्रूटर ने कहा कि वक्त की जरूरत है कि वैश्विक स्तर पर उपयुक्त बनने के लिए इंडियन आईटी प्रफेशनल्स अपनी स्किल बढ़ाएं। उनका कहना है कि कम या महज बुनियादी कौशल वालों एवं कम अनुभवियों को शायद तवज्जो नहीं मिले।

भारतीय IT सेक्टर के लिए माहौल सुधरने के संकेत
नैसकॉम में ग्लोबल ट्रेड डिवेलपमेंट के वाइस प्रेजिडेंट शिवेंद्र सिंह ने कहा कि पारंपरिक रूप से विदेश जानेवाले भारतीय इंजिनियरों में 60% सिर्फ अमेरिका जाते रहे। उन्होंने कहा, ‘लेकिन अमेरिका, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया ने वीजा नियमों में कड़ाई की है। ऐसे में जापान, चीन, इस्राएल, नॉर्डिक देश, मध्य पूर्व, अफ्रीका और मेक्सिको जैसे देश अगले कुछ वर्षों में नए आईटी हब के रूप उभरेंगे।’ उन्होंने कहा कि भारतीयों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का यह शानदार मौका होगा।