नई दिल्लीः खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा है कि रेस्टोरेंट्स सर्विस चार्ज वसूलना बंद करें, क्योंकि सर्विस चार्ज टैक्स नहीं केवल एक टिप है। उन्होंने बताया कि मिनिस्ट्री इस संबंध में जल्द एक एडवाइजरी जारी करने की योजना बना रही है। इस साल जनवरी में सरकार ने कहा था कि होटल व रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज भरना कस्टमर के लिए जरूरी नहीं है। यह पूरी तरह कस्टमर की मर्जी पर है कि वह सर्विस चार्ज भरना चाहता है या नहीं।
गलत तरीके से बिजनेस करना है सर्विस चार्ज वसूलना
– कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 1986 का हवाला देते हुए इसे गलत तरीके से बिजनेस करने की प्रैक्टिस करार दे चुकी है।
– मिनिस्ट्री के मुताबिक एक्ट में यह साफ बताया गया है कि जो ट्रेड प्रैक्टिस किसी प्रोडक्ट को बेचने, इस्तेमाल करने और सप्लाई करने के लिए की जाती है। अगर उनकी तरफ से कोई गलत प्रैक्टिस बिजनेस करने के लिए अपनाई जाती है, तो उसे गलत ट्रेड प्रैक्टिस कहा जाएगा और ग्राहक ऐसी किसी भी प्रैक्टिस के खिलाफ कंज्यूमर फोरम में शिकायत कर सकते हैं।
सरकार ने मांगा था जवाब
– उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने इस मामले में जनवरी में होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया से सफार्इ मांगी थी।
– इसके जवाब में एसोसिएशन ने साफ किया कि होटल व रेस्टोरेंट को सर्विस चार्ज देना जरूरी नहीं है। अगर कोई कस्टमर होटल की सर्विस से खुश नहीं है, तो वह चार्ज भरने से इनकार कर सकता है। उन्होंने कहा कि इसे भरना न भरना पूरी तरह ग्राहक पर निर्भर करता है।
– नैशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एन.आर.ए.आई.) ने कहा था कि रेस्टोरेंट की तरफ से सर्विस चार्ज वसूलने का कानूनी आधार है। अगर कोई कस्टमर सर्विस चार्ज नहीं भरना चाहता, तो उनके पास ऑप्शन है कि वह उन होटलों में न खाएं, जहां सर्विस चार्ज मांगा जाता हो।