सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह से कहा कि अगर वह 17 अप्रैल तक सेबी-सहारा रिफंड खाते में 5,092.6 करोड़ रुपये जमा नहीं कराता है, तो उसकी पुणे की एंबे वैली की नीलामी की जाएगी. कोर्ट ने सहारा समूह का यह रकम जमा कराने का निर्देश दिया था. बता दें, कि सहारा समूह के एंबे वैली की कुल कीमत करीब 39,000 करोड़ रुपये है.
जस्टिस दीपक मिश्रा की नेतृत्व वाली पीठ ने सहारा समूह से कहा कि इस राशि को जमा कराने की समयसीमा नहीं बढ़ाई जाएगी, क्योंकि समूह ने कोर्ट को भरोसा दिया था कि 17 अप्रैल तक जमा करा दी जाएगी. इस पर पीठ ने समूह के वकील से कहा, ‘और समय नहीं दिया जाएगा. सहारा समूह को निश्चित रूप से यह राशि समय पर जमा करानी होगी, वर्ना एंबे वैली की नीलामी की जाएगी.’
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी तब की, जब सहारा के वकील ने अंतरिम अपील का जिक्र किया, जिसमें सेबी-सहारा रिफंड खाते में यह राशि जमा कराने के लिए और समय देने का आग्रह किया गया है. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि उसने समूह को स्पष्ट तौर पर बता दिया था कि रिफंड खाते में बताई गई रकम जमा कराना अनिवार्य है.
सहारा समूह के वकील ने जब पीठ से इस अर्जी की सुनवाई का आग्रह किया, तो अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का पंजीकरण कार्यालय इस मामले की सुनवाई के लिए पहले से तय तारीख पर ही इसे सूचीबद्ध करेगी. इससे पहले 28 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर इस मामले में कुछ उल्लेखनीय राशि जमा कर दी जाती है तो अदालत और समय देने पर विचार कर सकती है. ऐसा न होने पर समुचित निर्देश जारी किए जाएंगे.
बता दें कि सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय तथा दो अन्य निदेशकों रविशंकर दुबे और अशोक राय चौधरी को ग्रुप की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प लिमिटेड द्वारा 31 अगस्त, 2012 तक निवेशकों का 24,000 करोड़ रुपये का रिफंड करने के आदेश का अनुपालन नहीं करने के लिए गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, एक निदेशक वंदना भार्गव को हिरासत में नहीं लिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई, 2016 को सुब्रत राय को अपनी मां की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए चार हफ्ते का पैरोल दिया था. उसके बाद से उनके पैरोल को बढ़ाया गया है. राय को 4 मार्च, 2014 को तिहाड़ जेल भेजा गया था, लेकिन फिर कोर्ट ने पिछले साल 28 नवंबर को सुब्रत राय को 6 फरवरी तक रिफंड खाते में 600 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश देते हुए कहा था कि अगर वह ऐसा करने में विफल रहते हैं तो उन्हें फिर जेल भेज दिया जाएगा.